For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी हर सांस में …

अपनी हर सांस में …

अपनी हर सांस में...तुझे करीब पाता हूँ
तुझे हर ख्याल में अपना हबीब पाता हूँ

बिन तेरे ज़िंदगी की हर मसर्रत है झूठी
राहे वफ़ा में तुझे अपना नसीब पाता हूँ

तुम्हारे वाद-ए-फ़र्दा पर ..यकीं करूँ कैसे
हर दीद में इक तिश्नगी ..अजीब पाता हूँ

कूए कातिल से गुजरना ..आदत है मेरी
अपने ज़ख्मों में .अपना अज़ीज़ पाता हूँ

रूए-ज़ेबा को भला ज़हन से भुलाऊँ कैसे
बिन तुम्हारे तो मैं खुद को गरीब पाता हूँ

(मसर्रत = खुशी ,वाद-ऐ-फ़र्दा = कल आने का वादा ,
कूए कातिल = कातिल की गली ,रूए ज़ेबा =सुंदर चेहरा )

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on June 18, 2014 at 4:18pm

बहुत खूब .. ढेरों बधाई | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 12:38pm

तुम्हारे वाद-ए-फ़र्दा पर ..यकीं करूँ कैसे
हर दीद में इक तिश्नगी ..अजीब पाता हूँ

कूए कातिल से गुजरना ..आदत है मेरी
अपने ज़ख्मों में .अपना अज़ीज़ पाता हूँ.............दिल को छू जाते भाव, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय शुशील जी

Comment by Sushil Sarna on June 18, 2014 at 11:34am

आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा और अमूल्य सुझाव का हार्दिक आभार। कोशिश करूंगा आपके सुझाव को कार्यरूप में परिणित कर सकूँ।    

Comment by Sushil Sarna on June 18, 2014 at 11:32am

आदरणीया राजेश कुमारी  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 18, 2014 at 11:31am

परम आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी नज़रे इनायत ने एक ऊंचाई प्रदान की है … आपके इस स्नेह का हार्दिक आभार

Comment by वेदिका on June 18, 2014 at 12:53am

एक खूबसूरत गज़लनुमा ख्याल आ० सुशील जी!

समय देके इसे बहर के अनुशासन पर एक खूबसूरत गज़ल का रूप भी दिया जा सकता है

बहरहाल बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशील जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 17, 2014 at 9:01pm

सुन्दर अभिव्यक्ति .....बधाई आपको आ० सुशील सरना जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 17, 2014 at 8:35pm

सरना जी

बड़ी  ही नायाब गजल है  i हर शेर हमला करता है i  हम घायल होते जाते है i  आपको बधाई i

Comment by Sushil Sarna on June 17, 2014 at 7:44pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 17, 2014 at 6:18pm

बहुत खूब सर अच्छी कविता है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
9 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
9 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service