“देखो नेहा वो अभी भी घूर रहा है” झूमू ने नेहा का हाथ पकड़े-पकड़े हर की पौढ़ी पर गंगा में डुबकी लगाते हुए कहा|”बहुत बेशर्म है अभी भी बैठा है इसको पता नहीं किस से पाला पड़ा है, इसका मजनू पना अभी उतारते हैं शोर मचाकर” उसको थप्पड़ दिखाती हुई नेहा आस पास के लोगों को उकसाने लगी|
इसी बीच में न जाने कब झूमू का हाथ छूट गया और वो तीव्र बहाव में बहने लगी|छपाक!!!!! आवाज आई और कुछ ही देर में वो युवक झूमू को बचाकर बाहर निकाल लाया|
थोड़ी दूर खड़ा एक पुलिस वाला भी आ गया और “बोला इन साहब का शुक्रिया अदा करो ये इंटरनेश्नल स्वीमर चेम्पियन स्वप्निल झा जी हैं जो हरिद्वार घूमने आये हुए हैं और निःस्वार्थ एक हफ्ते से लोगों की हेल्प कर रहे हैं न जाने कितने डूबते हुए लोगों को बचा चुके हैं”
अपलक देखती नेहा को वो युवक बोला “ मैडम अपनी आँखों से ये चश्मा उतारिये जो सिर्फ एक ही रंग देखता है दुनिया में और भी रंग हैं” !!!!
मौलिक और अप्रकाशित
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Comment
बहुत- बहुत शुक्रिया प्रिय सावित्री राठौर जी |
दुनिया के रंग दिखाती सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई राजेश जी !
आ० विजय मिश्र जी ,लघु कथा के मर्म का आपके द्वारा अनुमोदन मेरा उत्साह वर्धन कर रहा है बहुत- बहुत शुक्रिया आपका |
आ० गिरिराज भंडारी जी ,आपकी सराहना और भावों का अनुमोदन मेरी लघुकथा को सार्थकता प्रदान कर रहा है हार्दिक आभार आपका |
आदरनीया राजेश जी , सच है दुनिया मे हर रंग मौज़ूद है , हम अपनी सोच के अनुसार वही रंग ही देख पाते हैं जैसी हमारी सोच होती है । सार्थक लघुकथा के लिये आपको बधाई आदरणीया ॥
प्रिय विन्दु बाबू ,आपने लघु कथा के मर्म को दिल से महसूस किया बहुत बहुत आभारी हूँ ,दरअसल हमारी मानसिकता गन्दी तो नहीं कहूँगी बल्कि शक्की ,और नकारात्मक सोच वाली होती जा रही हैं इसके पीछे के कारण भी सभी को स्पष्ट हैं किन्तु कभी- कभी इस सोच से परे की भी सच्चाई होती है बस इसी बिंदु को ध्यान में रख कर लिखी है ये लघु कथा |बहुत बहुत आभारी हूँ सस्नेह .
आपने सच कहा आदरणीया, आज हमारी मानसिकता इतनी गंदी होती जा रही है कि सकारात्मक पहलुओं तक हमारी दृष्टि ही नहीं जाती।
बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण है आपका।
इसके लिए आपको ढेरों बधाइयाँ।
सादर
शिज्जू भैय्या सही कहा आपने आज कल के माहौल को देखते हुए किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए इसीलिये इस कथा की नायिका ने वो भाव व्यक्त किये किन्तु कभी- कभी हमारी नकारात्मक सोच भी शर्मिंदगी का कारण बन जाती है हर ऊँगली बराबर है ये भी तो नहीं सोचना चाहिए|बहुत -बहुत शुक्रिया
प्रिय मीना पाठक जी,आपको लघु कथा पसंद आई अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार |
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