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जुबाँ से विष उगलते और मन में नफरतें होतीं
न तू होता अगर दिल में न तेरी रहमतें होतीं
नहीं जीवन बनाता तू धड़कता फिर कहाँ से दिल
न कोई ख़्वाब ही पलते न कोई हसरतें होतीं
जो तेरे हाथ शानों पर नहीं होते अगर मेरे
कहाँ से होंसला होता कहाँ ये हिम्मतें होतीं
बिना मतलब यहाँ तो पेड़ से पत्ता नहीं हिलता
ज़माना साथ क्या देता बड़ी ही जिल्लतें होतीं
न तुझ में आस्था होती न तेरा डर अगर होता
कहाँ होती मुहब्बत और कैसी कुर्बतें होतीं
बड़ा अच्छा किया कद अर्श को ऊँचा दिया तूने
नहीं तो बंट चुका होता लगा दी कीमतें होतीं
तेरी पाकीजगी, कमसिन ज़िया को लूट लेते सब
सितारों चाँद सूरज की दरकती अस्मतें होतीं
कज़ा की डोर हाथों में नहीं लेता अगर मालिक
अमर होती कहर ढ़ाती विषैली ताकतें होतीं
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आ० धर्मेन्द्र कुमार जी,ग़ज़ल पर आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ खेद है देर से देखी ,तहे दिल से आभारी हूँ |
अच्छी ग़ज़ल हुई है राजेश कुमारी जी, दाद कुबूल कीजिए।
आ० संतलाल करुण जी ,आपसे दाद पाकर ग़ज़ल धन्य हुई,मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभारी हूँ सादर |
आदरणीया राजेश कुमारी जी,
आप ने उस एक नूर की नूरी की हर जगह मौजूदगी पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल पेश की है ---
"नहीं जीवन बनाता तू धड़कता फिर कहाँ से दिल
न कोई ख़्वाब ही पलते न कोई हसरतें होतीं
जो तेरे हाथ शानों पर नहीं होते अगर मेरे
कहाँ से होंसला होता कहाँ ये हिम्मतें होतीं"
... हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !
प्रिय प्राची जी ,आपको ग़ज़ल प्रभावित कर सकी ,मेरा लिखना सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय तल से आभार |
आदरणीया राजेश जी
बहुत कमाल की ग़ज़ल हुई है...हर शेर जिस सच्चाई से , गहराई से, ऊंचाई से हुआ है...... उस पर मन मुग्ध है
कज़ा की डोर हाथों में नहीं लेता अगर मालिक
अमर होती कहर ढ़ाती विषैली ताकतें होतीं................वाह
बहुत बहुत बधाई लीजिये इस बेमिसाल ग़ज़ल पर.
सादर.
आ० सौरभ जी ,ग़ज़ल पर आपकी इनायत हुई सच में होंसला दुगुना हो गया ग़ज़ल मुकम्मल हो गई ,ह्रदय तल से आभारी हूँ |
आदरणीया राजेशकुमारीजी, आपने तो कमाल की ग़ज़ल प्रस्तुत कर डाली. यह नातिया के समक्ष है !
किसी एक शेर पर कुछ कहना अन्य की तौहीन होगी.
दिली दाद कुबूल करें आदरणीया..
आ० विजय निकोर जी ग़ज़ल को आपका आशीष मिला ग़ज़ल धन्य हुई ,तहे दिल से आभार आपका |
बहुत ही खूबसूरत ...! बहुत बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया राजेश जी।
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