For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गीत अनोखा लायी हूँ...

 

HIV POSITVE KIDS 

 

जब जी चाहे तब गा लेना ,एक गीत अनोखा  लायी हूँ..

हर भाव को क्षण में जी लेना ,संगीत अनोखा लायी हूँ..
जो पीर से व्याकुल कर देगा वो दर्द अनोखा लायी हूँ..
जो नीर से आँखें भर देगा वो सत्य अनोखा लायी हूँ..

एक बाल सुलभ मुस्कान कहीं क्षण में न ओझल हो जाए ...
नन्हे हाथों से खिचे चित्र में भयावह सत्य न आजाए..
ओझल न दृष्टि से हो नन्हा वो, वर्तमान अनोखा लायी हूँ..
अपने ही बड़ों का ढ़ोते  श्राप ,भविष्य अनोखा लायी हूँ..
जो नीर से आँखें भर देगा वो सत्य  अनोखा लायी हूँ..
.
हर वक़्त दर्द का रोना रो ,हम सहानुभूति चाहते हैं..
जीवन सत्य का दर्शन कितनी गंभीरता से बतलाते हैं..
अपने ही काले सत्य को ढंकें उनका ब्योरा अनोखा लायी हूँ.
जिसने न जीवन मुख देखा ,बचपन वो अनोखा लायी हूँ..
जो पीर से व्याकुल कर देगा वो दर्द अनोखा लायी हूँ.
.
एक रोग का दंश पाया था कहीं,कैसे उसको ही याद नहीं..
उस रोग को बांटा पत्नी से ,जिसको तनिक आभास नहीं..
संतान को विरासत मृत्यु मिली,जीवन दृश्य अनोखा  लायी हूँ..
जीवन रेखा न काटो नन्हे हाथों से ,सन्देश अनोखा लायी हूँ..
हर भाव को क्षण में जी लेना ,संगीत अनोखा लायी हूँ

.जब जी चाहे तब गा लेना ,एक गीत अनोखा  लायी हूँ..
.

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on September 15, 2011 at 10:43am

aabhaar  Sanjay ji :)

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on September 3, 2011 at 4:06pm

अपने ही बड़ों का ढ़ोते  श्राप ,भविष्य अनोखा लायी हूँ..

सचमुच... निःशब्द करता गीत...

सादर...

Comment by Lata R.Ojha on March 7, 2011 at 11:42pm
shukria 'Shams' ji :)
Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on March 7, 2011 at 6:46am
bahut marmsparshi geet hai....badhai.
Comment by Lata R.Ojha on March 5, 2011 at 8:59am
Shukria Prabhaat ji :)
Comment by prabhat kumar roy on March 5, 2011 at 8:47am
लता ओझा ने मर्मस्पर्शी गीत रच दिया।
Comment by Lata R.Ojha on March 2, 2011 at 5:06pm
dhanyavaad Vandana ji .
Comment by Lata R.Ojha on March 1, 2011 at 7:57pm
Aabhaar Virendra ji :)
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:37pm
Behad marmik rachna ke liye hardik badhai aapko.... Lata ji...
Comment by Lata R.Ojha on March 1, 2011 at 1:34am
Dhanyavaad Ashvani ji :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service