For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे , आज़ादी की वर्षगांठ मुबारक | आतिशबाजियां छुड़ाते और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए लोग चिल्ला रहे थे और एक दूसरे को इंडिपेंडेंस डे की शुभकामना भी दे रहे थे |
और सामने की मिठाई की दुकान पर छोटू दौड़ दौड़ कर लोगों को पानी दे रहा था और टेबल साफ़ कर रहा था |


( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 16, 2014 at 4:12pm

आभार सौरभ पाण्डेयजी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:35am

आपकी लघुकथा से गुजरना हुआ, आदरणीय..
विषय अच्छा उठाया है आपने कथा का माहौल नहीं बन पाया. आपकी अन्य लघुकथाओं का इंतज़ार रहेगा.

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 9:25pm

आभार गिरिराजजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2014 at 8:10pm

आदरणीय , लघुकथा के शिल्प के विषय मे मै नही जानता , बाल श्रमिक का विषय अच्छा उठाया है , बधाई ॥

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 6:40pm

आभार अरुणजी एवम रवि प्रभाकरजी..

Comment by Ravi Prabhakar on July 7, 2014 at 6:32pm

प्रिय मित्रवर,
आपका प्रयास सराहनीय है। मैनें आपकी अन्य लघुकथाएं ‘थप्पड़’ और ‘पढाई लिखाई’ भी पढ़ी है।
उनके मुकाबले मुझे यह एक ‘रूटीन’ लघुकथा लगी। विषय और प्रस्तुति में कोई नयापन नहीं लगा।
अन्यथा ना लें.... प्रयास जारी रखें। सादर ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2014 at 3:19pm

आदरणीय आपकी लघुकथा का विषय चिंतनीय अवश्य है किन्तु क्या ऐसा इंडिपेंडेंस डे के दिन होता है.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 7, 2014 at 2:22pm

आदरणीय विनय जी ..हो गया वतन आजाद मेरा पर लोग अभी भी मुक्त नहीं सोते थे भूखे ही तब भी सोते हैं भूखे ही अब भी ..आपकी रचना चिंतन के liyए विवश करती है ..इस शानदार रचना पर हार्दिक बधाई सादर 

Comment by विनय कुमार on July 6, 2014 at 9:11pm

आभार सुभ्रांशुजी , आपसे सहमत लेकिन बड़े शहरों एवम महानगरों में अब ये सब आम हो गया है..

Comment by Shubhranshu Pandey on July 6, 2014 at 4:01pm

आदरणीय विनय जी, सुन्दर कथा है. 

एक आजादी जिसकी चाह में बच्चा काम किये जा रहा है.. 

लेकिन अब भारत में ऎसी आजादी की वर्षगांठ नहीं मनती है जिसमें रात के ११ बजे तक दुकाने खुली रह्ती हो.अमुमन इस दिन दुकाने बन्द रह्ती हैं. ..अलबत्ते नये साल के आने के पहले  रात को दुकाने जरुर खुली रहती हैं...जब शोर कानों को चीरता हुआ दिमाग पर चढता है.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service