For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे , आज़ादी की वर्षगांठ मुबारक | आतिशबाजियां छुड़ाते और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए लोग चिल्ला रहे थे और एक दूसरे को इंडिपेंडेंस डे की शुभकामना भी दे रहे थे |
और सामने की मिठाई की दुकान पर छोटू दौड़ दौड़ कर लोगों को पानी दे रहा था और टेबल साफ़ कर रहा था |


( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 16, 2014 at 4:12pm

आभार सौरभ पाण्डेयजी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:35am

आपकी लघुकथा से गुजरना हुआ, आदरणीय..
विषय अच्छा उठाया है आपने कथा का माहौल नहीं बन पाया. आपकी अन्य लघुकथाओं का इंतज़ार रहेगा.

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 9:25pm

आभार गिरिराजजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2014 at 8:10pm

आदरणीय , लघुकथा के शिल्प के विषय मे मै नही जानता , बाल श्रमिक का विषय अच्छा उठाया है , बधाई ॥

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 6:40pm

आभार अरुणजी एवम रवि प्रभाकरजी..

Comment by Ravi Prabhakar on July 7, 2014 at 6:32pm

प्रिय मित्रवर,
आपका प्रयास सराहनीय है। मैनें आपकी अन्य लघुकथाएं ‘थप्पड़’ और ‘पढाई लिखाई’ भी पढ़ी है।
उनके मुकाबले मुझे यह एक ‘रूटीन’ लघुकथा लगी। विषय और प्रस्तुति में कोई नयापन नहीं लगा।
अन्यथा ना लें.... प्रयास जारी रखें। सादर ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2014 at 3:19pm

आदरणीय आपकी लघुकथा का विषय चिंतनीय अवश्य है किन्तु क्या ऐसा इंडिपेंडेंस डे के दिन होता है.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 7, 2014 at 2:22pm

आदरणीय विनय जी ..हो गया वतन आजाद मेरा पर लोग अभी भी मुक्त नहीं सोते थे भूखे ही तब भी सोते हैं भूखे ही अब भी ..आपकी रचना चिंतन के liyए विवश करती है ..इस शानदार रचना पर हार्दिक बधाई सादर 

Comment by विनय कुमार on July 6, 2014 at 9:11pm

आभार सुभ्रांशुजी , आपसे सहमत लेकिन बड़े शहरों एवम महानगरों में अब ये सब आम हो गया है..

Comment by Shubhranshu Pandey on July 6, 2014 at 4:01pm

आदरणीय विनय जी, सुन्दर कथा है. 

एक आजादी जिसकी चाह में बच्चा काम किये जा रहा है.. 

लेकिन अब भारत में ऎसी आजादी की वर्षगांठ नहीं मनती है जिसमें रात के ११ बजे तक दुकाने खुली रह्ती हो.अमुमन इस दिन दुकाने बन्द रह्ती हैं. ..अलबत्ते नये साल के आने के पहले  रात को दुकाने जरुर खुली रहती हैं...जब शोर कानों को चीरता हुआ दिमाग पर चढता है.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service