For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे ……

इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे ……

वक्त तेरे दामन . को मोतियों से भरूँ
इक बार बीते लम्हों से मिला दे मुझे
थक गया हूँ बहुत ..बिछुड़ के जिससे
इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे

इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे

पंथ के शूलों से हैं रक्त रंजित ये पाँव
नहीं दूर तलक कोई ममता का गाँव
अश्रु अपनी हथेली पे ले लेती थी जो
उस आँचल की छाँव में छुपा दे मुझे

इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे

मेरी अकथ व्यथा को पढ़ लेती  थी  जो
मेरी साँसों में तृप्ति सी भर देती थी  जो
मेरे पाषाण पलों को मोम करती थी जो
हिम  गंगा  सी  वो मूरत  दिखा दे मुझे

इक बार आ उस माँ से मिला दे मुझे


सुशील सरना/
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 9, 2014 at 6:56pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 10:44pm

बहुत सुंदर आदरणीय सुशील सर बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:45am

आदरणीय अरुन कुमार निगम  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:44am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी रचना के मर्म पर आपकी मार्मिक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:43am

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद  जी रचना के भावों पर आपके  आशीर्वचनों का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:41am

आदरणीय केवल प्रसाद  जी रचना के भावों ने आपको प्रभावित किया मेरा लेखन सफल हुआ ।  आपकी इन आशीर्वचनों का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:37am

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना आपके हृदय को छू सकी इससे मेरा लेखन सफल हुआ।  आपकी इन आशीर्वचनों का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:35am

आदरणीय अरुन शर्मा जी रचना के मर्म ने आपको प्रभावित किया मेरा लेखन सफल हुआ , आपका  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2014 at 11:33am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना में निहित भावों को आपकी स्वीकृति ने जो मान दिया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 8, 2014 at 9:46am

आदरणीय सुशील जी, अत्यंत ही मार्मिक गीत.............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
15 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service