For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आत्मपीडा में अनुभूति सुख की लिए

दग्ध होता रहा अनुभवो  में सदा

सत्य ही उस करुण के ह्रदय कोश में

पल रहा कोई जीवंत अनुराग है i

 

मृत्यु आती नहीं चैन मिलता नहीं

युद्ध होता है विष चेतना में प्रबल

दंश लेता है जब फिर न देता लहर

क्रुद्ध फुंकारता नेह का नाग है i

 

मौन बेसुध पड़ा प्राण के अंक में

याद की वेदना में सजल जो हुआ

स्वेद-श्लथ गात में कुछ चुभन सी लिए

स्नेह सोया हुआ था गया जाग है  i

 

सिसकियो की व्यथा आंसुओ ने सुनी

वाग्देवी ने उसको मुखर कर दिया

मन चकित दर्प कवि-बोध का भ्रम लिए

सोचता इसमें क्या उसका प्रतिभाग है

 

शब्द-व्यायाम से गीत बनते नहीं

वेदना के बिना व्यर्थ  अनुराग है

गीत  तो आंसुओ में ढले है सदा

यदि ह्रदय  में प्रबल आग ही आग है i

 

(अप्रकाशित व मौलिक)

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 22, 2014 at 11:25am

आदरणीय सौरभ जी

आप से प्रोत्साहन मिलने का आनंद ही जुदा है i  कृपया ऐसे हे स्नेह बनाये रखें  i सादर i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 12:33am

कर्मठता और संलग्नता को शब्दबद्ध कर आपने रचनाधर्मिता को मान दिया है, आदरणीय गोपालजी..

इस सुन्दर और पठनीय रचना के लिए हार्दिक बधाई !

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 21, 2014 at 12:41pm

आदरणीय लडीवाला जी

आपकी सस्तुति  का एहतराम करता हूँ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 21, 2014 at 12:39pm

मित्र भंडारी जी

आपके स्नेह का आभारी हूँ  i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 21, 2014 at 10:30am

जीवन में वेदना को शब्द देते है जो, कवि बन जाते है वो, इसीलिए कहा गया है -वियोगी होगा पहला कवि, मुहं से निकली होगी आह !

इसी तरह के निकले मामिक भाव लिए शब्दों से बुनी रचना के लिए हार्दिक बधाई डॉ गोपाल नारायण जी -

शब्द-व्यायाम से गीत बनते नहीं

वेदना के बिना व्यर्थ  अनुराग है

गीत  तो आंसुओ में ढले है सदा

यदि ह्रदय  में प्रबल आग ही आग है i-  ह्रदय की आग में झुलसे को कौन बचा पाया है, अनुपम भाव रचना हुई है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2014 at 9:51pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , जीवन की तमाम पीड़ाओं को बहुत सुन्दर सार्थक शब्द मिले हैं ॥ बहुत मार्मिक ! सुन्दर गीत रचना के लिये आपको दिली बधाइयाँ ॥

शब्द-व्यायाम से गीत बनते नहीं

वेदना के बिना व्यर्थ  अनुराग है

गीत  तो आंसुओ में ढले है सदा

यदि ह्रदय  में प्रबल आग ही आग है i  बहुत सुन्दर !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 20, 2014 at 9:02pm

मीना जी

आपका शत -शत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 20, 2014 at 9:01pm

आदरणीय पंकज जी

आपके स्नेह को प्रणाम  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 20, 2014 at 8:59pm

आदरणीय  करुण जी 

आपके स्नेह का आभार i

Comment by Meena Pathak on July 20, 2014 at 6:07pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई आप को | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service