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सामायिक गीत !
==========
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा।
जुड़े नहीं जो तार ये मन के
सूखा और सूनापन होगा !

छद्म ,छल-कपट छलिया बन के
मेघदूत आये सावन के !
किसका ये सब रचा हुआ है /
मुद्दे का सत्यापन होगा !
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा   …।

हर मौसम को धरा सह गई
बिन बरसे बरसात बह गई
नीलगगन के सम्मुख भू का
इसी बात पर ज्ञापन होगा !
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा   …।

मन-भावन सावन पुरवाई
आँचल में भर कर ले आई !!
जलवायु के संग बदरिया !!!!!
कब तक ये विज्ञापन होगा ?
मन से मन की बात चलेगी
सहज भाव अपनापन होगा   …।
=====================
@ अविनाश बागड़े /मौलिक-अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by mrs manjari pandey on July 20, 2014 at 7:10pm
भांशु जी मेरी भी यही इच्छा है लौट कर मै अवश्य ही इसे अंजाम लगूँगी . पता नहीं सफलता हासिल होगी। वैसे साधुवाद रचना का अवलोकन करके मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु
Comment by Meena Pathak on July 20, 2014 at 6:02pm

बहुत सुन्दर गीत ..बधाई आ० अविनाश जी 

Comment by वेदिका on July 20, 2014 at 12:47pm
वर्षा और सामयिकता के सम्मिलन को लेकर अच्छा गीत रचा।
जलवायु के संग बदरिया// क्या कहने
बधाई!!
Comment by AVINASH S BAGDE on July 20, 2014 at 8:08am

aaabhar aadarniy Santlal Karun sahab.....साधुवाद !

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 7:17am

आदरणीय बागी जी,

अच्छी रचनात्मकता, अर्थपरक, प्रभावपूर्ण; साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

कृपया ध्यान दे...

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