For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने कहाँ गईं ?

**************
नींदों से सपनों की फसलें
जाने कहाँ  गईं ?
==
मलमल के बिस्तर से तन को
हमने जोड़ रखा
उसके ऊपर मन-चादर को
कस के ओढ़ रखा
रातों की महफ़िल से गज़लें
जाने कहाँ गईं ?
==
बार-बार अँखियों के मैंने
परदे बंद किये
सपनों वाली नींद बुलाने
जप हरचंद किये
नियति -नटी सपनों के खत ले
जाने कहाँ गईं ?
==
बेटी कहती पापाजी तुम
नींद में हँसते हो
कसम आपकी मै बतलाऊं
खूब ही जंचते  हो
नींद जहाँ दो पल को हंस ले
जाने कहाँ  गईं ?
==
नींदों से सपनों की फसलें
जाने कहाँ  गईं ?
==================(मौलिक/अप्रकाशित )
-- अविनाश बागडे

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on July 11, 2014 at 7:18pm

आदरणीय सौरभ जी आप को मेरा ये प्रयास भा गया ये मेरी खुशकिस्मती है /आभार आदरणीय 

Comment by AVINASH S BAGDE on July 11, 2014 at 7:16pm

Dr.Prachi Singh mam..मेरे इस नव गीत ने आप को ऐसा सार्थक लिखने को प्रेरित किया /ये इस रचना की सार्थकता है/बहुत बहुत आभार प्राची जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:24am

एक सुन्दर और सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अविनाशजी.

अलबत्ता, गई को गईं होना चाहिये. यह टंकण त्रुटि ही है. गीत बहुत बढिया हुआ है.

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:23pm

नींद में सपनों की खूबसूरत दुनिया.... को तलाशती कविता के लिए हार्दिक बधाई आ० अविनाश जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on June 24, 2014 at 7:10pm
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2014 at 12:05pm

सुन्दर कल्पना अभिव्यक्ति के लिए बधाई श्री अविनाश बागडे जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 23, 2014 at 9:03am

वाह अच्छा नवगीत रचा है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by MAHIMA SHREE on June 22, 2014 at 6:59pm

मलमल के बिस्तर से तन को
हमने जोड़ रखा
उसके ऊपर मन-चादर को
कस के ओढ़ रखा
रातों की महफ़िल से गज़लें
जाने कहाँ गई ?... वाह बहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय अविनाश सर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2014 at 1:20pm

बागडे जी

आपका गीत भाव प्रवण  है i ह्रदय को स्पर्श करता है i बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
18 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service