जाने कहाँ गईं ?
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आदरणीय सौरभ जी आप को मेरा ये प्रयास भा गया ये मेरी खुशकिस्मती है /आभार आदरणीय
Dr.Prachi Singh mam..मेरे इस नव गीत ने आप को ऐसा सार्थक लिखने को प्रेरित किया /ये इस रचना की सार्थकता है/बहुत बहुत आभार प्राची जी
एक सुन्दर और सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अविनाशजी.
अलबत्ता, गई को गईं होना चाहिये. यह टंकण त्रुटि ही है. गीत बहुत बढिया हुआ है.
शुभ-शुभ
नींद में सपनों की खूबसूरत दुनिया.... को तलाशती कविता के लिए हार्दिक बधाई आ० अविनाश जी
Laxman Prasad Ladiwala ji..शिज्जु शकूर ji..MAHIMA SHREE mam..डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव sir...aabhar..
सुन्दर कल्पना अभिव्यक्ति के लिए बधाई श्री अविनाश बागडे जी
वाह अच्छा नवगीत रचा है बहुत बहुत बधाई आपको
मलमल के बिस्तर से तन को
हमने जोड़ रखा
उसके ऊपर मन-चादर को
कस के ओढ़ रखा
रातों की महफ़िल से गज़लें
जाने कहाँ गई ?... वाह बहुत ही सुंदर भावपूर्ण नवगीत आदरणीय अविनाश सर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
बागडे जी
आपका गीत भाव प्रवण है i ह्रदय को स्पर्श करता है i बधाई i
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