For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बैसाखियाँ- डा० विजय शंकर

बैसाखियाँ बैसाखियाँ बैसाखियाँ ,
हर तरफ बैसाखियाँ ,
उनके लिए जिन्हें जरुरत है ,
उनकें लिए भी , जिन्हें जरुरत नहीं है .
लोगों को बैसाखियों की जरुरत हो न हो
बैसाखियों को तो सबकी जरुरत है.
सब उन्हें लें , उनके सहारे आगे बढ़ें ,
अन्यथा बिलकुल न बढ़ें , नहीं तो ,
बढ़ना क्या , चलने लायक नहीं रह जायेगें .
फिर हमारे पास , हमको लेने आयेंगें .
हमें समझें , हमारा महत्व समझें ,
क्यों हमारा धंधा खराब करते हैं

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर


.

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 8:17pm
आदरणीय लक्ष्मी प्रसाद लड़ीवाला जी , आपने बहुत ध्यान से पढ़ा , आभार।
आपकी शुभकामनाये निसंदेह मेरा मनोबल बढ़ाएगीं , धन्यवाद.
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 6:59pm

अपना विस्तार सब चाहते है और वर्तमान हालात में तो ज्यादा से ज्यादा लोग बैसाखी के सहारे ही बढ़ते दिखाई देते है 

इसी सोच का लाभ उठाकर दूरदर्शी बैसाखियों ने मनुष्य की कमजोरी भांप अपना जाल फैलाना प्रांरम्भ किया है एक चतुर 

व्यसायी की तरह | वाह ! क्या खूब लिखा है | बहुत बहुत बधाई डॉ विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 9:32am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,
अवश्य हो जाएगा , मेरी ढेरों शुभकामनायें आपके साथ हैं .
सादर .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2014 at 1:05am

आदरणीय विजय शंकरजी, आपकी सदाशयता !
किन्तु हमने अभी तक डॉक्टरेट के लिए स्वयं को प्रस्तुत नहीं किया है. अलबत्ता समयानुसार यह हो जायेगा.
सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 12:32am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉo सौरभ पांडे जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2014 at 11:25pm

इस बिम्बात्मक रचना के लिए हृदय से धन्यवाद आदरणीय विजय शंकरजी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 11:05pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 23, 2014 at 10:54pm

बहुत अच्छी रचना लिखी आपने, बधाई स्वीकारे आदरणीय डा.विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 4:41pm
आदरणीय संतलाल करुण जी , धन्यवाद एवं सद्भावमाओं के लिए आभार
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 4:17pm
आदरणीय डॉo प्राची सिंह जी , बिम्ब को स्पष्ट करने के लिए धन्यवाद।
आपकी बधाई के लिए अलग से बहुत बहुत धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service