(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
कटाक्ष सीधा निशाने पे लगा
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय विनय कुमार सिंह जी ।
आदरणीय संतलाल करुण जी, लघुकथा पर आपसे प्राप्त आशीर्वाद हेतु आभार व्यक्त करता हूँ।
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, लघुकथा पर आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है,हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, स्नेह सदैव बना रहे, सादर।
लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी।
लघुकथा आपको अच्छी लगी श्रम सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।
Thanks Dr. Vijai Shanker jee for your valuable comments.
जबरदस्त कटाक्ष करती लघु कथा
एक तो अथाह संपदा का राज खुलने कर, दुसरे नेताजी का जिसके संग चोली दामन का साथ हो वही चोर निकले तो
संतोष करने के सिवा रास्ता क्या ? ये कहानी नेताजी के यक्तित्व पर सटीक निशाना साध रही है | वाह !! बहुत खूब
अतिशय बधाई इस लघु कहानी के लिए श्री गणेशजी "बागी" जी
आदरणीय गणेश भाईजी,
एक कहावत है.... चोर का माल चाँडाल खाय । यहाँ कहावत उलटी हो गई ......... चाँडाल का माल चोर खाय । चोर - चोर मौसेरे भाई भी कहलाते हैं ।
दो मौसेरे भाईयों की लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई ।
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