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वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

अवनी अम्बर जीव चराचर

सुख पा सब हर्षाये   

वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

        

प्रियतम को आमंत्रित करने  

मेघ दूत बन आये   

नील गगन के मुख मंडल पर

श्वेत श्याम घन छाये

वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

 

बहे पवन मदमस्त झूम के  

पुरवा मन अलसाये

प्रेम मिलन संकेत सरित ने

अर्णव संग जताये  

वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

 

छैला दिनकर आज धरा से     

छिप छिप नैन लड़ाये  

प्रेम जलज बिहँसे इस जग में  

कभी न वह मुरझाये

वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

 -सत्यनारायण सिंह

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by vijay nikore on July 27, 2014 at 3:49pm

//प्रियतम को आमंत्रित करने  

मेघ दूत बन आये   

नील गगन के मुख मंडल पर

श्वेत श्याम घन छाये

वर्षा प्रेम सुधा बरसाये//

इस अति सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय सत्यनारायण जी।

Comment by Sushil Sarna on July 27, 2014 at 2:51pm

छैला दिनकर आज धरा से
छिप छिप नैन लड़ाये
प्रेम जलज बिहँसे इस जग में
कभी न वह मुरझाये
वर्षा प्रेम सुधा बरसाये

वाह वाह वाह … सावन की श्रृंगारिक रचना में मन मयूर नाच उठा .... बेहद खूबसूरत इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी

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