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दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //

दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //
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माँ वंदन नित है सदा, किरपा दया निधान
अज्ञानी मै बहुत बड़ा, दे दो मुझको ज्ञान
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क्षीर सागर शयन किये, लक्ष्मी पति हरिनाथ
सुरमुनि यशोगान करें, जोड़े दोनों हाथ
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नवरात्री की अष्टमी , देवी पूजो आय
चरण शरण जगदम्बिका, घर घर बजे बधाय
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आशीष आपको सदा, मंगल हो सब काज
माँ भगवती रक्षा करे , निर्भय करिये राज
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राधिका संग गोपियाँ, पहुँची जमुना तीर
किशना फोडत मटकियाँ , ग्वाला खावत खीर
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मौलिक / अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
१-८-२०१४

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Comment

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on August 1, 2014 at 3:43pm

आदरणीय प्रदीप भाईजी 

सावन से दीवाली , एकादशी  तक त्योहारों की कतार है। आपके दोहों ने भी सुंदर माहौल बनाया है , अच्छी वंदना भी हुई। 

हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 1, 2014 at 3:08pm

आदरणीय प्रदीप जी 

आपको दोहा छंद पर लिखते देखना सुखकर लगा....

इस प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.

मात्रिकता कम ज्यादा हो रही है कई जगह ...और गेयता में भी अटकाव है अभी.

सतत सजग प्रयास से ये सब अवश्य ही सधता जाएगा

सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 12:10pm

मंगलमय सार्थक दोहों के लिए बधाई श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी 

कृपया ध्यान दे...

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