For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नित्य प्रति दिनकर,संग आके किरनों के,
बड़े प्यार ही से सारे ,जग को जगाता है।
तप करता है जब,खुद ही को जला जला,
सारी धरती को रवि,तभी तो तपाता है।
सुप्त हुए सब अंग,काले काले सब रंग,
लाके साथ सप्त रंग,जग को हँसाता है।
दिन रात आते जाते,भ्रम अपना बनाते,
सूरज तो कभी कहीं,आता है न जाता है
सीमाहरि शर्मा 1.08.2014
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on August 5, 2014 at 9:28pm
ह्रदय से आभार Dr.Prachi Singh जी अनुग्रहित हूँ आपकी प्रतिक्रिया से सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 5, 2014 at 11:51am

दिनकर की  महिमा की सुंदर प्रस्तुति आ० सीमा हरि शर्मा जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by seemahari sharma on August 4, 2014 at 8:56pm
बहुत बहुत शुक्रिया ram shiromani pathak जी
आपने अच्छा सुझाव दिया है अभी मुझे पता नही यहाँ एडिट कैसे किया जाता है देखती हूँ। आभार आपका।
Comment by seemahari sharma on August 4, 2014 at 8:49pm
आभार रमेश कुमार चौहान जी सादर।
Comment by seemahari sharma on August 4, 2014 at 8:48pm
आभार JAWAHAR LAL SINGH जी सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 3, 2014 at 8:53pm

बहुत ही सुन्दर!

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 3, 2014 at 8:25pm

अति सुंदर

Comment by ram shiromani pathak on August 3, 2014 at 8:19pm

बड़े प्यार से सारे ही,जग को जगाता है।=बड़े प्यार से ही सारे,जग को जगाता है।..इसे ऐसा कहें तो 

सुन्दर घनाक्षरी आदरणीया।हार्दिक बधाई आपको। । सादर

Comment by seemahari sharma on August 2, 2014 at 11:26pm
आभार Meena pathak जी।
Comment by seemahari sharma on August 2, 2014 at 11:24pm
आभार आ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service