For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिनकर मनमाना हुआ, गई धरा जब ऊब।
सूर्य रश्मियाँ रोक के, ......मेघा बरसे खूब।

त्राही दुनियां में मची, संकट में सब जीव।
बरखा रानी आ गई, .....कहे पपीहा पीव।

झूम रहे पत्ते सभी, पवन गा रही गीत।
वन्दन बरखा का करें, निभा रहें हैं रीत।

रंग धरा के खिल गए, शीतल पड़ी फुहार।
वन कानन नन्दन हुए , झूम उठा संसार।

पुष्प सभी हैं खिल उठे, जल की पड़ी फुहार।
भ्रमरों ने गुंजन किया, तितली ने मनुहार।

जल निमग्न धरती हुई, जन जीवन फिर त्रस्त।
दिनकर जैसे लग रहा, ......दिन में होता अस्त।

सूरज बिन सुबहा हुई, बिन सूरज ही साँझ।
घिरती मेघों से धरा,... आये काजल आँज।

नमन नहीं बालार्क को, सब ही हुए निराश।
बिन लाली के आ रही, ....ऊषा रोज हताश।

.
सीमाहरि शर्मा 29.07.2014
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on August 4, 2014 at 9:06pm
आदरणीय Saurabh Pandey जी बहुत बहुत आभार आपका आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन मिला

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 12:45am

छन्दों पर हुआ प्रयास संतोषदायी है आदरणीया सीमाजी. प्रयासरत रहें.

सादर

Comment by seemahari sharma on August 1, 2014 at 11:21pm
बहुत आभार इस प्रोत्साहन के लिये डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी सादर।
Comment by seemahari sharma on August 1, 2014 at 11:18pm
बहुत आभारा आपका Laxman prasad Ladiwalaji सादर।
Comment by seemahari sharma on August 1, 2014 at 11:14pm
ह्रदय से आभार Vandana जी।
Comment by seemahari sharma on August 1, 2014 at 11:13pm
बहुत आभार Vijai shanker जी सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 10:20pm
बरखा पर दोहे अच्छे हैं , आदरणीय सीमा हरीशर्मा जी बधाई .
Comment by vandana on July 29, 2014 at 9:01pm


रंग धरा के खिल गए, शीतल पड़ी फुहार।
वन कानन नन्दन हुए , झूम उठा संसार।

पुष्प सभी हैं खिल उठे, जल की पड़ी फुहार।
भ्रमरों ने गुंजन किया, तितली ने मनुहार।

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीया 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 29, 2014 at 4:09pm

मन मोहक दोहे रचना के लिए बधाई -

पुष्प सभी हैं खिल उठे, जल की पड़ी फुहार।
भ्रमरों ने गुंजन किया, तितली ने मनुहार। -  वाह !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 12:11pm

बहुत सुन्दर दोहे i क्या बात है -----

नमन नहीं बालार्क को, सब ही हुए निराश।

बिन लाली के आ रही, ....ऊषा रोज हताश।

.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service