212/ 212/ 212/ 212
मुझको तन्हाई अक्सर बुलाती रही
बारहा पास आकर सताती रही
क्या कहूँ आँसुओं का सबब मैं तुझे
तल्खी तेरी ज़बाँ की रुलाती रही
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही
आइना अक्स मेरा बदलता रहा
ज़िन्दगी खुद से मुझको छुपाती रही
मैं न समझा कभी सच यही था मगर
ये ख़िज़ाँ राह मेरी बनाती रही
बादबाँ खुल गये चल पड़ी नाव भी
मेरी किस्मत मुझे यूँ चलाती रही
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार
आदरणीय रवि सर आपने रचना के मर्म को समझा रचना को समय दिया आपका हार्दिक आभार
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही
बादबाँ खुल गये चल पड़ी नाव भी
मेरी किस्मत मुझे यूँ चलाती रही ------- आदरणीय शिज्जु भाई , गज़ल के लिये और इन दो अश आर के लिये बहुत बधाइयाँ ॥
इस बहुत ही खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय शिज्जू जी।
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही
इस शेर के सापेक्ष आपकी एक अच्छी ग़ज़ल से गुजरता गया.. दाद कुबूल कीजिये, शिज्जू भाई.
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही ---बहुत सुन्दर शेर वाह्ह्ह
आइना अक्स मेरा बदलता रहा
ज़िन्दगी खुद से मुझको छुपाती रही---क्या कहने
बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है दिली दाद कबूलिये शिज्जू भैया
वाह! क्या बात है,बहुत ही बेहतरीन गजल.दिली बधाइयाँ आपको
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही
आइना अक्स मेरा बदलता रहा
ज़िन्दगी खुद से मुझको छुपाती रही////बहुत ही सुन्दर अशआर
सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय।हार्दिक बधाई आपको। । सादर
आदरणीय शिज्जू जी ..आपके शानदार ग़ज़ल गुलदस्ते एक और खूबसूरत ग़ज़ल पुष्प ..
बादबाँ खुल गये चल पड़ी नाव भी
मेरी किस्मत मुझे यूँ चलाती रही..किस्मत हो तो ऐसी ..बहुत बढ़िया
हाँ आदरणीय अपनी जानकारी के लिए लिख रहा हूँ तुम्हारे कि तरह
तन्हाई ..भी क्या १२२ नही होगा ..अन्यथा मत लीजियेगा ..इस बेहतरीन ग़ज़ल की धुन बहुत रास आयी जी भर कर गुनगुनाया ....ढेर सारी बधाई के साथ .सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online