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जाने पड़ा हुआ है तू किसके खुमार में
दिल ही न टूट जाये कहीं ऐतबार में
मैं नाम लौहे दिल पे यूँ लिखता गया तेरा
इसके सिवा रहा नहीं कुछ इख़्तियार में
वो कारवाने वक्त गुज़र तो गया मगर
पामाल हसरतें थी नुमायाँ गुबार में
तपती हुई ज़मीं को मिले राहतें ज़रा
वो नर्मियाँ नहीं है न ठण्डक फुहार में
खुद रहनुमाई अपनी करो ढ़ूँढो रास्ता
बेजा है बैठना किसी के इंतिज़ार में
किस पर यकीन हो किसे अपना कहूँ “शकूर”
हर गाम राहजन ही मिले रहगुज़ार में
लौहे दिल= हृदय पटल
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
मेरी रचना को समय देने के लिये आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया। मैं आप सभी से माफी चाहता हूँ कि व्यस्तता के चलते मंच पर सक्रिय नहीं हो सका।
वाह ! बहुत खूब !
आदरणीय शकूर जी,
सधी हुई सुन्दर ग़ज़ल, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --
"वो कारवाने वक्त गुज़र तो गया मगर
पामाल हसरतें थी नुमायाँ गुबार में"
तपती हुई ज़मीं को मिले राहतें ज़रा
वो नर्मियाँ नहीं है न ठण्डक फुहार में ---बहुत खूब
खुद रहनुमाई अपनी करो ढ़ूँढो रास्ता
बेजा है बैठना किसी के इंतिज़ार में -----शानदार
सुन्दर ग़ज़ल हुई है शिज्जू भैया दाद कबूलिये
वो कारवाने वक्त गुज़र तो गया मगर
पामाल हसरतें थी नुमायाँ गुबार में
तपती हुई ज़मीं को मिले राहतें ज़रा
वो नर्मियाँ नहीं है न ठण्डक फुहार में ---------- इन दो खूब सूरत अश 'आर और ग़ज़ल के लिए आपको दिली बधाइयाँ |
तपती हुई ज़मीं को मिले राहतें ज़रा
वो नर्मियाँ नहीं है न ठण्डक फुहार में...........बेहद सुंदर, दिली बधाई स्वीकारें आदरणीय शिज्जू जी
खुद रहनुमाई अपनी करो ढ़ूँढो रास्ता
बेजा है बैठना किसी के इंतिज़ार में बहुत खूब!
किस पर यकीन हो किसे अपना कहूँ “शकूर”
हर गाम राहजन ही मिले रहगुज़ार में
बहुत खूब शिज्जु भाई , इस बेहतरीन ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकारें .
बहुत खूब ... वाह
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