दुश्मन से मिलकर रहता है,
बस मीठी बातें करता है,
वो शख़्स मुनाफिक़* लगता है।
माने तो दिलजोई करना,
रूठे तो मनमानी करना,
है लाज़िम झगड़ा भी करना।
मन में जो आये कह देना,
दिल में पर मैल नहीं रखना,
ये ही मोमिन# का है गहना।
छल, पाप, कपट, मक्कारी है,
माना हर सू बदकारी है,
पर नेकी सब से भारी है।
*पाखंडी
#आस्तिक
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
ये त्रिवेणी विधा है मेरे ख्याल से ...बहुत अच्छी लगी हार्दिक बधाई इमरान जी
आ. इमरान भाई , आपको इस प्रस्तुति ले लिये बधाइयाँ । एक निवेदन -- शिल्प और विधा अगर बता दें तो रचना समझ्ने सीखने में आसानी होगी ।
ये क्या है भाई ?
रचना तो बहुत प्यारी लगी मुझे। ।बहुत बहुत बधाई आपको
कृपा कर बताएं यह कौन सी विधा में है। । सादर
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