रक्षा सूत्र में पिरोकर अपना प्यार भेजा है
भैया तुझे मैंने स्व रक्षार्थ का भार भेजा है|
माना मन में तेरे राखी का सम्मान नहीं
बड़े मान से हमने अपना दुलार भेजा है|
रिश्ता भाई बहन का हैं एक अटूट बंधन
होता जार जार जो सब जोरजार भेजा है|
ढुलक गया मोती जो मेरी नम आँखों से
पिरोकर मोती हमने उपहार भेजा है|
गिले शिकवे भूल सारे फिर एक बार
सहेज कर यादें लिफ़ाफ़े में मधुर भेजा है|
राखी दो पैसे की हो या हजारों की भैया
चंद धागों में लिपटा प्यार बेशुमार भेजा है|
मतलब के हो गये सारे ही रिश्तें नाते
हो मधुर रिश्तें सन्देश दें मधुकर भेजा है|
माना होता प्रगाढ़ बहुत खून का रिश्ता
स्नेह अपार निहित राखी का तार भेजा है|
क्रांति चेहरे की भैया हो ना फीकी कभी
हरने सारे गम माँ का प्यार विधर भेजा है|
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सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
विजय चाचाजी सादर आभार आपका आदरणीय ......._/\_
//रक्षा सूत्र में पिरोकर अपना प्यार भेजा है
भैया तुझे मैंने स्व रक्षार्थ का भार भेजा है//
यह पंक्तियाँ भाई-बहन के पावन रिश्ते के दायित्व को पूर्ण परिभाषित कर रही हैं। आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया सविता जी।
चंद धागों में पिरो निज प्यार भेजा है
अपनी रक्षा के लिए साभार भेजा है|
माना तेरे मन में राखी का सम्मान नहीं
बड़े मान से राखी में दुलार भेजा है|
भाई बहिन का नाता जैसे इक अटूट बंधन है
जार जार होता जाता पर जोरजार भेजा है|
ढुलक गया आंसूं का मोती मेरी नम आँखों से
गूंथ गूंथ ऐसे मोती का हार भेजा है|
सारे शिकवे गिले भूल सावन में हर बार
बंद लिफ़ाफ़े में यादों का भण्डार भेजा है|
मेरी राखी के धागों का मोल नहीं है भैया
प्यार छुपा कर धागों में बेशुमार भेजा है|
मतलब की दुनिया मतलब के सारे रिश्तें नाते
रखना रिश्तें मधुर यही मनुहार भेजा है|
माना होता अजब अनोखा यही खून का रिश्ता
राखी के तारों में निहित रिश्तों का प्यार भेजा है|
कभी ना फीकी हो मेरे भैया कान्ति तेरे चेहरे की
हरने को सारे गम तेरे माँ सा दुलार भेजा है| सविता मिश्रा
रक्षा बंधन की आप सभी को बहुत बहुत बधाइंयां एवं शुभकामनायें............वैसे दिल कर रहा था शायद रक्षा बंधन पर यह सेलेक्ट करें पर अब इसे अपने पेज पर देख समझ नहीं आ रहा है कि इसे सेलेक्ट ना करने पर जो सही कर दूसरी इसी की भेजे थे वह रिजेक्ट ना हो यह सेलेक्ट की गयी ..सेलेक्ट ना होने के कारण हमें लगा कि हमने बिलकुल सही नहीं लिखा अतः आरसी चाचाजी हमने दुसरे के लिय मदद ली थी ....पर अब दूसरी रिजेक्ट देख दुःख और संसय दोनों हो रहा है ......वह गलत थी या य.....
आदरणीय विजय भैया और आदरणीय भंडारी भैया आप दोनों महानुभाव का तहेदिल से शुक्रिया .....आभार है हम
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण कविता , रक्षा बंधन के पर्व पर और बहुत अच्छी लगी आपकी कविता के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया सविता जी |
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