For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो मेरा कुछ नहीं लगता
और मैं कोई महान व्यक्ति भी नहीं
फिर भी बार बार वो
मेरे पैर पकड़ रहा था  
पता है क्यों ?
मैंने सिर्फ दो रोटी दी उसे
**************************
बहुत दुश्मन है उसके
गलती ?
बहुत अच्छा आदमी है वो
*******************************
सिसकियाँ मत लो ग़म-गीं हवाओ
चुप हो जाओ
पता है क्यों?
वो आ रहीं है
*********************************
लोग कहते है उनकी आँखों में
प्यार का समंदर है
फिर भी मैं क्यों ?
प्यासा लौटा
****************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 9:00pm

अमुल्य सुझाव हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी। .....     सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:59pm

अमुल्य सुझाव हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ  जी। .....     सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गोपाल नारायण जी 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:56pm

बहुत बहुत आभार  आदरणीया rajesh kumaari जी 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:55pm

बहुत बहुत आभार भाई pawan kumaar जी 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया savita जी 

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया saritaa जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 26, 2014 at 11:38pm

बहुत सार्थक खूबसूरत कथ्य हर क्षणिका का ...पर शिल्प अभी और कसा जा सकता था.

दूसरी और चौथी क्षणिका पर विशेष बधाई प्रेषित है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 12:07am

क्षणिकाएँ वैचारिक रूप से बहुत अच्छी हैं. इसके लिए अनेकानेक बधाइयाँ

वैसे प्रस्तुीकरण और अच्छा हो सकता है. हो सकता है अंतर्निहित भाव को स्पष्ट करने के लिए प्रस्तुतियों में प्रश्नवाचक वाक्यांश डालना एक प्रयोग हो, लेकिन इन वाक्यांशों के बिना प्रस्तुतियाँ अधिक सधतीं.

खैर हम यों भी कुछ इतर सोच लेते हैं. अन्य पाठकों के विचारों को जानना भी उचित होगा. 

शुभेच्छाएँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 25, 2014 at 5:55pm

पाठक जी

क्षणिकाओ में है दम

पता है क्यों ?

आप नहीं किसी से कम i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service