For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह चले शादी हो जाती |

अजीब बात  है ये प्यार  की    , भूले वो सारा  संसार |
सारा यौवन   बर्बाद   करे , मिल गया बेवफा जो यार | 
शादी बंधन अपवित्र करे  , रिश्ते  को गड्ढे में डाल | 
जिंदगी  ही  डूबे  नर्क में , आगे का अब कौन हवाल |
माता पिता जब करे  शादी , जा कर ही देखे घर बार |
जान पानी  छान कर पीते , तब  कहीं करते  ऐतबार |
शादी पावन है  जीवन में ,   इसी से   चलता संसार |
राह चले शादी हो जाती ,   दूसरे  दिन पड़ता दरार |
गोद में जब बालक आये , आशिक हो जाता  फरार  | 
मुँह छुपाना  मुश्किल होता ,  जब   ताना मारे संसार |
कोई विनय काम ना आवे ,  नव जीवन   पड़े महाधार |
अपनी करनी पार उतरनी , नहीं सुलझने का आसार |
याद आये  पिछली कहानी , तड़प तड़प बीते  दिन रात |
प्रेम का है ये खेल अनूठा , छन  भर में ही बिगड़े बात |
कोर्ट जाने  की नौबत आये , कोई  ना देता  तब साथ |
वर्मा प्यार का  मंजिल कठिन , दिवा के बाद आये रात | 
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 27, 2014 at 10:12am

बहुत सुंदर. आज के रिश्तों को बहुत खूबी से बयां किया आपने आदरणीय श्याम नारायण जी. हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:05am

आदरणीय पवन कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार |
सादर

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:03am

आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , सही राय देने के लिए बहुत बहुत आभार | आगे से मैं ध्यान अवश्य रखूंगा |
सादर

Comment by Pawan Kumar on August 26, 2014 at 6:23pm

आजकल का प्यार भी .......
बहुत बाद में समझ आता है
सुन्दर प्रस्तुति सादर बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 5:56pm

कठिन प्यार की मंजिल वर्मा बाद दिवा के आये रात ----- शब्द आपके है केवल मैंने क्रम बदला है और आप अनुभव करेंगे कि यह संयोजन आल्हा की गायन शैली के अधिक  निकट है i  बस संयोजन पर ध्यान दीजिए,  आपका प्रयास सराहनीय है i

Comment by Shyam Narain Verma on August 26, 2014 at 10:10am

आदरणीय पाण्डेय जी आपका बहुत बहुत आभार और आदरणीया राजेश कुमारीजी को भी सही राय देने के लिए बहुत बहुत आभार | आगे से मैं ध्यान अवश्य रखूंगा |
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 12:28am

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपकी इनिशियेटिव के लिए सादर धन्यवाद.

विश्वास है,आदरणीय श्यामनारायणजी अब ध्यान अवश्य देंगे. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 8:10pm

आ० श्यामनारायण वर्मा जी,शादी को केन्द्रित कर आल्हा लिखने का शानदार प्रयास किया है आपने --  

शादी पावन है  जीवन में ,   इसी से   चलता संसार |----सम चरण में १४ पंक्तियाँ हो रही हैं इसे इसे लिखें तो कैसा लगे --चलता इस से ही  संसार 
राह चले शादी हो जाती ,   दूसरे  दिन पड़ता दरार | ---पड़ती अगले दिवस दरार (दरार स्त्री लिंग है )

आदरणीय आपका प्रयास अच्छा है बस आप इतना देख लें की सम शब्द के बाद सम ओर विषम के बाद विषम रखें तो गेयता बेहतर होगी ,जैसे --राह चले शादी हो जाती----यहाँ आपने विषम के बाद विषम लिया है तो कितना खूबसूरत लग रहा है ,आपको बहुत-बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service