जीवन के अनजाने पथ पर , मोड़ अनेको आते हैं | |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल लोग बिछड़ जाते हैं | |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते , कुछ मौन चले जाते हैं | |
कोई दे सर्द हवा झोंका , कोई ग़म दे जाते हैं | |
पर कही मिले कोई नैया , जीवन पार लगा जाती | |
गर विरान मरुस्थल में रहे , नई हरीयाली लाती | |
अलग खुशी भरती जीवन में, फूलों से घर महकाती | |
हँसी खुशी से साथ निभाये , घर घर घरनी कहलाती | |
विवेक होता नर नारी में , मन रमा गाड़ी चलाते | |
मानव दानव में अंतर क्या , जो घर बसा बिछड़ जाते | |
दोनों हाथ मिल बजे ताली , जुदा शोर ना कर पाते | |
जीवन में ग़म भर जाता है , जुदा राह जब अपनाते | |
पर नर नारी के मिलन बिना , जीवन पुष्प अधूरा है | |
तनहा रहकर जो खुशी मिले , जोड़ी बिना अधूरा है | |
जाना है एक दिन जहाँ से , होत समय जब पूरा है | |
वर्मा फिर ना आने वाला , ठोकर लगा जो गिरा है | |
श्याम नारायण वर्मा |
(मौलिक व अप्रकाशित) |
Comment
आपका ह्रदय से आभारी हूँ...
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रचना भावपूर्ण है.. आदरणीय
अनेकों शब्द का प्रयोग सुधीजन नहीं करते.. हम भी उनका अनुकरण करें.
सादर
रचना को सराहने के लिये आदरणीय गिरिराज जी , आदरणीया मुखर्जी जी एवं आदरणीय शिज्जु शकूर जी का हार्दिक आभार |
सादर |
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, बढ़िया भावपूर्ण रचना के लिए बधाई...................
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है बधाई आपको
जीवन के अनजाने पथ पर , मोड़ अनेको आते हैं | |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल लोग बिछड़ जाते हैं | |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते , कुछ मौन चले जाते हैं | |
कोई दे सर्द हवा झोंका , कोई ग़म दे जाते हैं |.....शायद यहीं दुनिया की रीत है....फिर भी मुसाफिर को चलना तो पड़ता ही है......बहुत अच्छा प्रयास है..नारायण जी....आप लिखते रहें.....शुभकामनाएँ......सादर. |
...
आदरनीय श्याम नारायण भाई , खूब सूरत भाव पूर्ण रचना के लिये बधाइयाँ ॥ गेयता थोड़ी बाधित लगी ॥
रचना को सराहने के लिये आदरणीया मीना पाठक जी , आदरणीय जितेंद्र ' गीत ' जी और आदरणीय लक्ष्मण धामी जी का हार्दिक आभार |
सादर!
आदरणीय श्याम नारायण जी, इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर रचना आदरणीय श्याम नारायण जी, हार्दिक बधाई आपको
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