For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - तेरी यादों में ़ज़ालिम गुजर जाएगी - पूनम शुक्ला

2122. 1221. 2212

तेरी यादों में ज़ालिम गुजर जाएगी
जिन्दगी अब न जाने किधर जाएगी

इक नजर देखिए बस जरा सा हमें
आपको देखकर ये सँवर जाएगी

रोशनी अब ये पा लेगी लगता तो है
चीर देगी अँधेरा जिधर जाएगी

आँसुओं की लड़ी बह रही थी कहीं
बह के जानूँ न वो किस नहर जाएगी

कुछ कहेंगे नहीं फिर भी हम तो सनम
बात अपनी दिलों तक मगर जाएगी

पूनम शुक्ला ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 533

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:44pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 11, 2014 at 4:20pm

रोशनी अब ये पा लेगी लगता तो है
चीर देगी अँधेरा जिधर जाएगी...बेहतरीन शेर ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया 

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 8:51pm
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 10, 2014 at 11:28am
" कुछ कहेंगे नहीं फिर भी हम तो सनम
बात अपनी दिलों तक मगर जाएगी. "
बहुत सुन्दर , बधाई .
Comment by Poonam Shukla on September 10, 2014 at 9:48am
हौसला बढ़ाने के लिए आप सभी का धन्यवाद ।
Comment by शकील समर on September 9, 2014 at 4:31pm

बेहद उम्दा गजल, लय में पढ़ गया मजा आ गया।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2014 at 1:14pm

पूनम जी

बहुत बढ़िया i

तेरी यादों में ज़ालिम गुजर जाएगी
जिन्दगी अब न जाने किधर जाएगी

इक नजर देखिए बस जरा सा हमें
आपको देखकर ये सँवर जाएगी

Comment by Shyam Narain Verma on September 9, 2014 at 9:55am
" सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई   "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service