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हमें भी जिन्‍दगी से प्‍यार हो जाता।।।

हमारे प्यार मे गर कोई खो जाता

शिकायत भी नहीं उनसे दोष मेरा है

निभाते प्‍यार गर हम तो न वो जाता

तड़पता ही रहूँगा रात भर क्‍या मैं

मिलन की अास गर भी होती  सो जाता

न पाये रूह उसकी चैन जन्‍नत में

दिखा सपने सुहाने छोड़ जो जाता

बहे जो आज नफरत की हवा जग में

मिटा मैं काश नफरत प्‍यार बो जाता

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2014 at 3:48pm

सुंदर गजल रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री अखंड गहमरी जी 

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:44pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई !

Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2014 at 3:11pm
सुंदर प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 5:59pm

अखंड जी

बहुत सुन्दर रचना है i

Comment by Shyam Narain Verma on September 11, 2014 at 10:40am
" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "

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