तुम्हारी झील सी आँखे मुझे बस डूब मरने दो
न रोको तुम कभी मुझको मुझे बस प्यार करने दो
तुम्हारे बिन ये जीवन है जैसे फूल बिन धरती
मरे हम भी तुम्हारे पर मगर तुम क्यों नहीं मरती
बडा सूना पडा जीवन प्यार के रंग भरने दो
न रोको तुम कभी मुझको मुझे बस प्यार करने दो
तुम्हारी झील सी आँखे मुझे बस डूब मरने दो
तुम्हारे पाव की पायल मुझे हरदम सताती है
निगाहे रात दिन तुमको न जाने क्यो बुलाती है
छुपाना मत कभी ऑंखे मुझे पलको पे रहने दो
न रोको तुम कभी मुझको मुझे बस प्यार करने दो
तुम्हारी झील सी आँखे मुझे बस डूब मरने दो
तुम्हे हम जिन्दगी की हर खुश्ाी देगे चली आओ
सुनो बाते हमारी तुम कही अब दूर मत जाओ
बनाने इक सुनहरा कल हमें तुम साथ चलने दो
न रोको तुम कभी मुझको मुझे बस प्यार करने दो
तुम्हारी झील सी आँखे मुझे बस डूब मरने दो
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गहमरी जी,
इस भाव-प्रवण गीत के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --
"तेरे माथे की बिन्दिया मेरा दिल चुराती है
खुली जुल्फे गर तेरी घटाये भी शरमाती है
समेटो न कभी इनको हमें साये में रहने दो
तुम्हारी झील सी आँखे हमें बस डूब मरने दो
न रोको तुम कभी हमको हमें बस प्यार करने दो"
क्या खूब बस गुनगुनाने को जी चाहा, आपको ढेरों बधाई....
बहुत सुन्दर ग़ज़ल की बहर में सुन्दर गीत ..
तुम्हारी झील सी आँखे हमें बस डूब मरने दो
न रोको तुम कभी हमको हमें बस प्यार करने दो ....भावप्रवण सुन्दर...बहुत बधाई.
बहुत उम्दा !
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