For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ के माथे की बिन्दी

माँ के माथे की बिन्दी

गोल बड़ी सी बिन्दी

माथे पर कान्ति बन

खिलती है बिन्दी

माँ के माथे की बिन्दी

सजाती सवाँरती

पहचान बनाती बिन्दी

मान सम्मान

आस्था है बिन्दी

शीतल सहज सरल

कुछ कहती सी बिन्दी

माँ के माथे की बिन्दी

थकान मिटा,उर्जा बन

 मुस्काती बिन्दी

पावन पवित्र सतित्व की

 साक्षी है बिन्दी

परंपरा संस्कारों का

आधार है बिन्दी

माँ के माथे की बिन्दी

अपनी हिन्दी भी लगती

मुझको माँ की सी बिन्दी

हिन्दी है माँ भारती के

उज्जवल माथे की बिन्दी

उतनी ही सहज सरल

देश की पहचान है हिन्दी

माँ के माथे की बिन्दी

हिन्दी हिन्दी बस हिन्दी

***********

महेश्वरी कनेरी

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:11pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... बधाई सादर!

Comment by Maheshwari Kaneri on September 14, 2014 at 6:39am

आदरणीय खुर्शीद  जी उत्साह वर्धन के लिए आभार आप का

Comment by Maheshwari Kaneri on September 14, 2014 at 6:39am

आदरणीय आशुतोष जी उत्साह वर्धन के लिए आभार आप का

Comment by khursheed khairadi on September 13, 2014 at 10:04pm

आदरणीय माहेश्वरी जी बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है | कोटि बधाई स्वीकार करें 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 13, 2014 at 8:59pm

आदरणीया  माहेश्वरी जी बहुत ही सहज सरल मनभावन रचना के माध्यम से हिंदी को स्थापित करती शानदार रचना ..कविता का अंत जिस खूबसूरत तरीके से हुई है काबिले तारीफ़ है ...सादर बधाई के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
22 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service