माँ के माथे की बिन्दी
गोल बड़ी सी बिन्दी
माथे पर कान्ति बन
खिलती है बिन्दी
माँ के माथे की बिन्दी
सजाती सवाँरती
पहचान बनाती बिन्दी
मान सम्मान
आस्था है बिन्दी
शीतल सहज सरल
कुछ कहती सी बिन्दी
माँ के माथे की बिन्दी
थकान मिटा,उर्जा बन
मुस्काती बिन्दी
पावन पवित्र सतित्व की
साक्षी है बिन्दी
परंपरा संस्कारों का
आधार है बिन्दी
माँ के माथे की बिन्दी
अपनी हिन्दी भी लगती
मुझको माँ की सी बिन्दी
हिन्दी है माँ भारती के
उज्जवल माथे की बिन्दी
उतनी ही सहज सरल
देश की पहचान है हिन्दी
माँ के माथे की बिन्दी
हिन्दी हिन्दी बस हिन्दी
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महेश्वरी कनेरी
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... बधाई सादर!
आदरणीय खुर्शीद जी उत्साह वर्धन के लिए आभार आप का
आदरणीय आशुतोष जी उत्साह वर्धन के लिए आभार आप का
आदरणीय माहेश्वरी जी बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है | कोटि बधाई स्वीकार करें
आदरणीया माहेश्वरी जी बहुत ही सहज सरल मनभावन रचना के माध्यम से हिंदी को स्थापित करती शानदार रचना ..कविता का अंत जिस खूबसूरत तरीके से हुई है काबिले तारीफ़ है ...सादर बधाई के साथ
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