दो नन्हें फूल,मेरे आँगन के
खिलते महकते,खुशियाँ जीवन के
लड़ते झगड़ते, कभी रुठ भी जाते
पल भर में फिर भूल भी जाते
भोली हँसी कोमल इनका मन है
इनकी बातो में झरते सुमन हैं
दुख का साया, इनके पास न आए
निर्मल धारा ये, बस बहते ही जाए
‘काशवी’ जीवन है तो,’दैविक’ वर है
इनसे ही तो बना ,मेरा घर , घर है
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काशवी’-प्रकाशवान
दैविक- ईश्वर का दिया वरदान
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महेश्वरी कनेरी
मौलिक/ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया Maheshwari Kaneri जी बहुत सुन्दर रचना हुयी , हार्दिक बधाई,
आदरणीया , बढिया रचना हुई है , बधाई स्वीकार करें ।
सुन्दर रचना आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी , शुभकामना के साथ सादर अभिनन्दन और बहुत बहुत बधाई !
आ0 कनेरी जी
काशवी व् दैविक को हमारा भी स्नेह i संयोग से मेरी बेटी का नाम भी 'काशिका ' है i सादर i
भोली हँसी कोमल इनका मन है
इनकी बातो में झरते सुमन हैं
आदरणीया माहेश्वरी जी , बहुत सुन्दर पंक्तिया हैं |सादर अभिनन्दन |
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