For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अटूट बंधन

कल रात भर आसमान रोता रहा

धरती के कंधे पर सिर रख कर

 इतना फूट फूट कर रोया कि

 धरती का तन मन

सब भीगने गया

पेड़ पौधे और पत्ते भी

इसके साक्षी बने

उसके दर्द का एक एक कतरा

कभी पेडो़ं से कभी पत्तों में से

टप-टप धरती पर गिरता रहा

धरती भी जतन से उन्हें

समेटती रही,सहेजती रही

और..

दर्द बाँट्ने की कोशिश करती रही

ताकि उसे कुछ राहत मिल जाए

**********************

महेश्वरी कनेरी

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2014 at 11:52pm

एक सीधी-सादी बात सीधे-सादे ढंग से कही गयी. बहुत खूब आदरणीया ! इस रचना के लिए हार्दिक शभकामनाएँ !!

Comment by वेदिका on July 20, 2014 at 4:39pm
धरती के कंधे पर आसमान का सर रख के रोना .. पेड़ पौधों पत्तियों का भीगना तरबतर होना
प्रतीक बिम्ब बहुत खूब लगे।
शुभकामनाएं आदरणीया महेश्वरी जी!
Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:52pm

सुन्दर प्रस्तुति  आदरणीया हार्दिक बधाई आपको  । … सादर

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 8:29am

आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी,

हृदयगत उद्भावना की कविता, अति सुन्दर; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !  

Comment by kalpna mishra bajpai on July 18, 2014 at 10:21pm

बहुत सही लिखा है आप ने । बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 17, 2014 at 10:02pm

बहुत सुन्दर !! आदरणीया , आपको दिली बधाइयाँ ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 3:48pm

आदरणीया

कबीर की याद आ गयी i उनकी एक उलटवांसी है -  भीगे कम्बल , बरसै  पानी i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 16, 2014 at 9:35pm

बहुत ही सुंदर भाव, शायद! दर्द बांटने से ही राहत मिलती है. बहुत बहुत बधाई आपको आदरनीय महेश्वरी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय  गिरिराज भाई जी आपकी ग़ज़ल का ये शेर मुझे खास पसंद आया बधाई  तुम रहे कुछ ठीक, कुछ…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी मैं आपकी ग़ज़ल के कई शेर समझ नहीं पा रहा हूँ.. ये समंदर ठीक है, खारा सही ताल नदिया…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service