For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" भाई! रामौतार.. यह साल तो खेती के हिसाब से बहुत ही बढ़िया रहा. काश! ऐसा हर साल ही होता  रहे "     दिनेश ने अपनी हथेली पर तंबाकू मे चूना लगाकर , रगड़ते हुए कहा

" हाँ भाई! दिनेश.. सच इस बार, हर साल की तुलना मे अतिवृष्टि से थोड़ी कम फसल ज़रूर हुई लेकिन लोक-सभा और विधान- सभा चुनाव के रहते सरकारों ने खूब मुआवज़ा भी दिया और फसल बीमा को भी मंज़ूरी  दिलवाई , तो देखो न! दोगुने से भी ज्यादा बचत हो गई " रामौतार ने दिनेश की हथेली पर से मली हुई तंबाकू अपने मुंह में दबाते हुए कहा

 

जितेंद्र 'गीत'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 20, 2014 at 8:58am

आपकी उत्साहवर्धक सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय गिरिराज जी. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 19, 2014 at 9:15am

जो वास्तव में हो रहा है वही आपने कथा के माध्यम से जाहिर  किया है , ऐसे ही फर्जी केस बनाए जाते हैं , सरकार भी जानती है और  अफसरान भी | वास्तविक ज़रुरत मंद रो रहा होगा | लाघुकथा  के लिए  बधाई , आदरणीय जितेन्द्र भाई |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 19, 2014 at 9:00am

लघुकथा पर आपके आशीर्वाद हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 19, 2014 at 8:58am

आदरणीय हरी जी, यह सब कौन सोचने बैठा है. आजकल तो 'मेरा' का समय है. रचना पर आपकी उपस्थिति से बहुत मनोबल मिला अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 18, 2014 at 9:50am

त्वरित असुर क्षणिक लाभ की यह सोच स्वयं के स्वार्थ को दर्शाती है | असली किसान जिसे अन्नदाता कहा जाता है, वह तो 

जनता के लिए अधिकाधिक अन्न उपजाने के लिए ही अपना पसीना बहाता आया है | इस पनपती स्वार्थ भरी क्षणिक लाभ 

की सोच के लिए देश में वोटों की राजनीति पूर्ण रूप से जिम्मेदार है | सुंदर लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2014 at 12:45pm

आपकी  उत्साहवर्धन सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ , आदरणीय खुर्शीद साहब 

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2014 at 12:43pm

लघुकथा पर आपके विचारों से मैं पूर्णत: सहमत हूँ आदरणीय डा. विजय जी. अपने थोड़े से नुक्सान का कोई गम ही नही  है बस राहतों से फायदा जो हो चला. आपका ह्रदय से आभारी हूँ सर, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by harivallabh sharma on September 17, 2014 at 11:00am

आखिर सरकार का धन कोष भी हमारा ही है...उसे यूं ही जाया न किया जावे ..यह सरकार और हमें भी सोचना होगा..सुन्दर प्रेरक व्यंग कथा,,बधाई आपको.

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 9:33am

आदरणीय जितेंदर जी पांच छह पंक्तियों में व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है ,अभिनन्दन ,बधाई स्वीकार करें 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 17, 2014 at 12:14am
कहानी यह भी बताती है कि क्षतिपूर्ति और खैरात को लाभ समझना भी एक त्रुटिपूर्ण सोंच है , पर प्रश्न यह है कि लोगों की यह सोंच बदली कैसे जाए , ऐसी सोंच का माहौल तो है ही नहीं पूरे परिवेश में .
बधाई प्रिय जितेंद्र जी , आप सोंचते तो हैं इस ओर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
13 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service