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सीमा हरि शर्मा 15.09.2014
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया दीदी सीमा हरि जी अनुज भी अभी ग़ज़ल का एक नवसाधक ही है ,मेरी अल्प जानकारी के अनुसार मतले में ही तुक की छूट ली जाती है ,तथा मतले में चयनित तुक ही शेष अशहार में रवां होता है |शेष आप मंच के विद्जनों की इस्लाह पर संशोधन कर सकती हैं ,मैं अभी इस काबिल नहीं हूं कि अपने अग्रजों की रचनाओं में हस्तक्षेप करूं |कृपया अन्यथा न लें और अनुज पर पूर्ववत स्नेह बनाये रखें |
आदरणीया बहन सीमा हरि जी ,इस बहुत ही भावुक एवं मर्मस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई l
कब मेरे नाम से उसकी पहचान हो
ख्वाहिशें हैं सदा रब से करता पिता
आदरणीया सीमा हरि जी ,बहुत ही भावुक एवं मर्मस्पर्शी रचना है |कोटि अभिनन्दन ,काव्य पक्ष सशक्त है |मतले में काफ़िये का शब्द (रवी ) यानि तुक -उ +नता है और मतले के तुक 'उनता' का सभी अशहार में निर्वहन होता तो ग़ज़ल और अधिक सुन्दर बन पड़ती |वैसे मैं ख़ुद अभी ग़ज़ल का एक नवसाधक हूं ,मेरा मंतव्य रचना की श्रेष्टता तथा आपकी विद्वता पर संदेह करना नहीं है ,चूँकि यह एक ओपन मंच है अतः रचनाकर्मी आपस में सोहार्दपूर्ण टिप्पणी कर सकते हैं ,कृपया अन्यथा न लेते हुए अपने अनुज पर स्नेह बनाए रखियेगा |सादर
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