For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ की ममता का नहीं, होता कोई अंत।
सरिता है माँ नेह की, माँ का प्यार अनंत।।

माता बहना रूप में, हरदम करती प्यार।
मन जिनका निर्मल सदा, होता ह्रदय उदार।।

करुणा प्यार दुलार का,माँ का हरदम भाव।
कष्टों पर औषधि सदृश, भर जाती है घाव।।

कैसी भी हो परिस्थिति, माँ ही रहती साथ।
अपने बच्चों का कभी, नहीं छोड़ती हाथ।।

त्याग समर्पण के लिये, जग में माँ का नाम।
माँ के चरणों में बसे, सारे तीरथ धाम।।

माँ की ममता का यहाँ, कितना सुन्दर रूप।
ठिठुरे तन को ज्यों मिले, सर्दी में प्रिय धूप।

-राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1328

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on October 2, 2014 at 9:59pm
आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत आभार अमूल्य सुझाव व् उत्साह वर्धन हेतु।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on October 2, 2014 at 9:57pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2014 at 9:22pm

आ. राम भाई , माँ की महिमा गाते आपके दोहों के लिए बहुत बधाइयाँ | बस - घाव को आपने स्त्रीलिंग ले लिया है , --- उसे सुधार लीजिएगा -- भर जाता है घाव , कहना सही है |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 2, 2014 at 12:16pm

आदरणीय भाई राम सिरोमणि जी, मां की महिमा का बखान करते इन बेहतरीन दोहों के लिए हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:38am
आदरणीय हरिवल्लभ जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:37am
आदरनीय ख़ुर्शीद जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:36am
भाई जीतेन्द्र जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:35am
प्रिय पवन भाई बहुत आभार आपका
Comment by Pawan Kumar on September 30, 2014 at 11:05am

माँ की महिमा का सुन्दर वर्णन, बधाई आदरणीय भईया राम शिरोमणि पाठक जी!

Comment by harivallabh sharma on September 30, 2014 at 1:32am

माँ की महिमा तो अनंत है...माँ को समर्पित उत्तम दोहे आपके मित्र ram shiromani pathak जी बहुत बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
Thursday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service