For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : गुब्बारा (गणेश जी बागी)

"वाह वाह !! क्या लिखते हैं साहब, एक बार किताब छपने तो दीजिये, देखिये कैसे लोग हाथो हाथ उठा लेते हैं I"

पाण्डुलिपि पलटते हुए प्रकाशक ने "कवि जी" से कहा । खैर, जीवन भर की कमाई और कुछ मित्रों से उधार लेकर किताब छप गयी। 
प्रकाशक ने पाँच सौ प्रतियां "कवि जी" के पास भिजवा दीं । 
झाड़ू लगाते समय पत्नी का भुनभुनाना अब रोज की बात हो गयी ।
.

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : दुकानदारी

Views: 1006

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:10pm

आखरी पंक्ति लाजवाब हुई है  आदरणीय गणेश बागी सर | हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:48am

बधाई सर, इस पंक्ति पर नमन....

"झाड़ू लगाते समय पत्नी का भुनभुनाना अब रोज की बात हो गयी" 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2014 at 2:12am

"झाड़ू लगाते समय पत्नी का भुनभुनाना अब रोज की बात हो गयी" .. इस पंक्ति की सान्द्रता चकित कर रही है !
शब्द-तपस्वियों को आजकी व्यावसायिकता की ऊमस में जैसे अनुभव हो रहे हैं, इस व्यावसायिकता के कारण जिसतरह से शब्द-तपस्या को ही अक्सर दोयम दर्ज़े का कर्म समझा जाने लगा है, अधकचरी ’तपस्या’ को शातिराना ढंग से जिसतरह से हवा उड़ायी जाती है, या, ’अनुभव हेतु प्रोत्साहन’ के नाम व्यावसायिक षडयंत्र के तहत जिसतरह से अति उत्साही शब्द-तपस्वियों को बहकाया जाता है, ऐसे प्रत्येक विन्दु को इंगित करती हुई यह लघुकथा अत्यंत समीचीन बन पड़ी है.
इस प्रस्तुति के लिए, गणेश भाई, आपको बार-बार बधाइयाँ तथा हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by vandana on October 15, 2014 at 6:53am

बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 7:09pm

//यूँ तो हम सभी में, उस रब की ही छवि है,
जो दर्द बाँट ले, वही तो कवि है ।//

क्या कहने आदरणीय नील्स शर्मा जी, बहुत बढ़िया, इन खूबसूरत पक्तियों के माध्यम से आपने रचना और रचनाकार दोनों को सम्मान दिया, इसके लिए मैं आभारी हूँ, सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 7:06pm

आपके कहे से सहमत हूँ आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, लघुकथा पर आपकी सराहना प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार, स्नेह बना रहे आदरणीय।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 7:06pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति प्रोत्साहित कर गयी, बहुत बहुत आभार।

Comment by Neeles Sharma on October 12, 2014 at 1:58pm

वाह ,शीर्षक का जिक्र भी नहीं और इससे उम्दा शीर्षक भी नहीं !'
कमाल की कारीगरी !
बधाई सर ,बहुत अच्छी लघुकथा है !

Comment by vijay nikore on October 12, 2014 at 12:48pm

अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय गणेश जी।

Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 12:27pm

ठक से लगी लघुकथा ......बहुत सुन्दर ..बधाई आप को | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
3 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service