For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखा   असूल    मैंने    अजब   सर जमीन पर

जो    ठोकरें     लगाते   रहे    उम्र    भर    मुझे

शैतानियत ने किस कदर चोला बदल लिया

वे   ही   जनाजे    में    मेरी    कन्धा   लगा  रहे  I

 

चप्पल न  थी   नसीब   छाले   पाँव   में पड़े

मै   जिन्दगी  में   यूँ   ही   दर्दमंद  हो चला

अल्लाह   तूने   मौत   दी   तेरे   बड़े  करम

इक बार  आठ  पाँव   की सवारी तो मिली  I

 

मैंने    हयात   में    न    कभी    हार   थी  मानी

हर  वक्त    रहे    चार    छह    मेरे    दबाव  में

यह  सिलसिला जारी रहा मरने का बाद भी

आराम से  दो-चार   पर  तब    भी    सवार था I

 

मै पांच   फिट  जमीन    से    ऊंचा    उठा    रहा

कुछ दूर  चला   इस   तरह मरने   के बाद भी

इत  राना  जिन्दगी का  काम प   र नहीं आया

आखिर में वही पांच फिट नीचे जगह मिली I

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:23pm

आदरणीय खुर्शीद जी

आपका बहुत आभार  i पर मै स्वयं आपका फेन हूँ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:22pm

जीतेंद्र जी

बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:21pm

विजय सर

आपका स्नेह  मेरा संबल है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:20pm

निकोर जी

आपका आशेष बहुत मायने रखता है मेरे लिए  i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:19pm

मीना जी

आपका ह्रदय-तल से आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:18pm

महनीया  राजेश कुमारी जी

आप कोटि-कोटि आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 1:16pm

नरेन्द्र जी आपका आभार  i

Comment by khursheed khairadi on October 13, 2014 at 10:44pm

आदरणीय गोपालनारायण जी सादर प्रणाम ,छुट्टियों में गाँव चले जाने के कारण मंच से काफ़ी समय अनुपस्थित रहा|इस बीच कई अच्छे आयोजन हुये |मैं इन आयोजनों का हिस्सा बनने का सोभाग्य गवाँ बैठा |आपकी रचना ने जीवन के उस सनातन चिंतन को समक्ष रखा है ,जो बोद्ध और जैन दर्शन की आधारशिला है |सादर अभिनन्दन 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 12, 2014 at 11:28pm

सच! यही जीवन का सबसे बड़ा  सच है. समय कमजोर भी बहुत होता है तो कभी बहुत बलवान भी. हार्दिक बधाई आदरणीय डा.गोपाल जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 12, 2014 at 1:46pm
सबकुछ परिवर्तनशील है , और यह बहुत अच्छा है , नहीं तो चंगेज़ और नादिर शाह अभी भी लूट ही रहे होते , आप कह सकते हैं कि उनकें उत्तराधिकारी तो लूट ही रहे हैं , पर परिवर्तन तो वहां भी है , काम से काम तलवार चला के तो नहीं लूट रहे हैं . परिवर्तन को स्वीकार तो करना ही पड़ता है , हमने भी करें परिवर्तन तो होता ही है।
व्यथा पर व्यंग सराहनीय हैं , बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service