For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी सूरत   बहुत     खूबसूरत  सही

तेरी सूरत  सी कोई भी सूरत नहीं

तेरी सूरत  से  जो     रूबरू हो गया

उसके बचने  की कोई  सूरत नहीं I

 

तेरी सूरत के जलवे फिजाओं में है

तेरी सूरत की   चर्चा  हवाओं   में है

तेरी सूरत में  है जैसी मस्ती भरी

वैसी कोई  अजंता की   मूरत नहीं I

 

तेरी सूरत में  गंगा   की     पाकीजगी

तेरी सूरत में आशिक की आवारगी

तेरी सूरत ही   सूरत   ख्यालों   में है

तुझसे मिलने का कोई महूरत नहीं I

 

तेरी सूरत सी    है   एक  सूरत तेरी

तेरी सूरत में   कुदरत  की कारीगरी

तेरी सूरत के सजदे में जो आ गया

उनकी आपस में  कोई कुदूरत नहीं I

 

तेरी सूरत  से    ‘गोपाल’    रोशन जहाँ

तेरी सूरत  तो   होती    नहीं    है    बयाँ

तेरी सूरत की मय है  मयस्सर जिसे

उसको फिर और मय की जरूरत नहीं

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 17, 2014 at 11:23am

श्याम नारायन जी

आपका  बहुत-बहुत आभार i  

Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2014 at 10:32am

" सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ .................. "

सादर ................

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 16, 2014 at 6:51pm

आदरणीय बागी जी

आपका आशीर्वाद मिलना मेरे लिये सौभाग्य भी है और संतोष  भी  i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 16, 2014 at 6:49pm

जीतू भैय्या

आपका प्रेम सदैव मिलता है i यह मेरा अहोभाग्य है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 16, 2014 at 6:48pm

सविता जी

यह सूरत  अनिवर्चनीय ईश्वर की है  i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 16, 2014 at 6:46pm

विजय सर !

आपका प्रोत्साहन सदा मिलता है  i यह मेरा सौभाग्य है i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 16, 2014 at 1:23pm

सूरत सूरत रटते रटते, हो गयी रे बावरिया :-)

वाह वाह, शूरत से शुरुआत और सूरत पर खत्म, बढ़िया है जी, बधाई आदरणीय।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 16, 2014 at 8:09am

वाह! क्या बात है. बहुत ही सुंदर. बहुत-बहुत बधाई आपको आदरणीय डा.गोपाल जी

Comment by savitamishra on October 15, 2014 at 10:37pm

सूरत की सीरत में ऐसे उलझे की अपनी ही सुरत हम भूल बैठे ... कई बार पढ़े और सुरत में ही उलझे रहें ...बहुत बहुत बढ़िया लिखा है आदरणीय चाचाजी ...सादर नमस्ते

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 9:49pm

वाह !क्या बात है तेरी सूरत की ,
जो देखे वो बच न पाये तेरी सूरत से
उलझ के रह जाए तेरी सूरत में ,
बच न पाये किसी भी सूरत से।
बहुत सुन्दर रचना। बधाई आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service