कविता
कविता हृदय की सहचरी है
भावों से भरी हुई रस भरी है।
जिंदा दिलों की रवानगी है
कविता कवि की वानगी है ।
कविता अपने दिल से उदार है
कवि के भावों की चित्रकार है ।
समेटती कई रहस्यों को अपने में
संवेदनावों पर करती प्रहार है ।
उगती है कलम के साथ कागज पर
पहुँच इसकी हृदय के उस पार है ।
कविता माला है भावों और शब्दों की
शुष्क मन को भी करती तार-तार है ।
मौलिक व अप्रकाशित
कल्पना मिश्रा बाजपेई
Comment
अच्छी रचना
कविता माला है भावों और शब्दों की
शुष्क मन को भी करती तार-तार है ........... बहुत खूब
आ० Shyam Narain Verma सर बहुत आभार /सादर
आ०डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर बहुत आभार /सादर
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई |
आदरणीय कल्पना जी
अच्छी कविता है और रबर छंद की याद दिलाती है i
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