For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : दृष्टिकोण (गणेश जी बागी)

"हेलो, हाँ डॉक्टर साहब ! नमस्कार, बिटिया की शादी का निमंत्रण कार्ड भिजवा दिया है, भाभी जी और बच्चो को लेकर अवश्य आइयेगा"

"जी भाई साहब, नमस्कार, कार्ड मिल गया है, श्रीमती जी बच्चो के साथ जायेंगी, मैं न आ सकूँगा, आपको तो पता ही है शहर में डायरिया फैला हुआ है"

"हां, वो तो है, पर आपकी भगिनी की शादी है, कमसे कम दो दिन का भी समय निकालिये"

"माफ़ी चाहूंगा भाई साहब, सीजन चल रहा है यही तो दो पैसे कमाने के दिन हैं"

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : रुतबा

Views: 953

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:43am

मारा दिमाग में झन्नाट... पाठक का कोमल ह्रदय डॉ साहब के शादी में न जाने का कारण उसका कार्य के प्रति समर्पण सोच रहा होता है तभी ये पंक्ति दिमाग को करंट वाला झटका देती है- 

"माफ़ी चाहूंगा भाई साहब, सीजन चल रहा है यही तो दो पैसे कमाने के दिन हैं"


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2014 at 12:33am

क्षेत्र में डायरिया के फैल जाने की बात एक डॉक्टर के ललाट पर बल का कारण न हो बल्कि उसके लिए आमदनी का माहौल बन कर आये तो यह नैतिक पतन ही नहीं बल्कि वैयक्तिक वैचारिक पतन का भी द्योतक है. लेकिन ऐसा व्यवहार या आचरण अपने समाज में व्यापक है.

इस कथा में इस विन्दु को जिस संवेदना और कलात्कता के साथ उकेरा गया है, वह भाई गणेश जी के लेखन की प्रबुद्धता तथा गहराई को सामने लाता है.

एक गहन परख को शाब्दिक करने के लिए हृदय से बधाई तथा अनेकानेक शुभकामनाएँ..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 4:10pm

लघुकथा पसंद करने हेतु आभार प्रिय राम भाई।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 4:09pm

आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है,बहुत बहुत आभार आदरणीय।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 4:07pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, लघुकथा पर आपकी सराहना प्राप्त हुई, लेखन कर्म सार्थक हुआ, आभार आपका।

Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2014 at 2:37pm

ज़ोरदार व्यंग आदरणीय  गणेश जी//बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 7, 2014 at 11:49am

आदरणीय गणेश भाईजी,

डाक्टरों में अब सेवा भाव नहीं , लूट का भाव है । भारत की आबादी कम करने में व्यापारिक बुद्धि के ये डाक्टर बहुत बड़ा सहयोग दे रहे हैं।  हार्दिक बधाई इस लघु कथा के लिए , मेरी दो पंक्तियों के साथ ............ 

देश में लाखों लुटेरे डाक्टर, ऐश करते हैं सारे  डाक्टर ?

जो गरीब पैसे न दे सके, स्वर्ग धाम पहुँचाते  डाक्टर ॥  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 5, 2014 at 5:37pm

आदरणीय लडीवाला साहब, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति उत्साहवर्धक है, प्रोत्साहन हेतु हृदय से आभार ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 5, 2014 at 5:36pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, लघुकथा पर आपकी प्रोत्साहित करती टिप्पणी प्राप्त हुई, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार आदरणीय।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 5, 2014 at 5:34pm

आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service