सोनू जब सुबह सो के उठा तो माँ को घर में देखे के बोला - "अरे माँ आज ऑफिस नहीं गये आप ??"
माँ ने मुस्करा के "नहीं बेटा आज ऑफिस की सरकारी छुट्टी है .."
"छुट्टी कैसी माँ ?? कल ही तो आप सांता बाई को काम पर न आने के लिए डांट रही थी कि रोज रोज छुट्टी नहीं मिलती है ...
आपको छुट्टी मिल सकती है तो सांता बाई को क्यों नहीं माँ ?"
"फिर सरकार कितनी छुट्टी करती है माँ. "
जवाब तो माँ के पास था नहीं , बस डांट थी सोनू के लिए ....
(मौलिक व अप्रकाशित )
आलोक
मथुरा
Comment
सरकारी दफ्तरों में होने वाली छुट्टियों से लोग त्रस्त तो रहते ही हैं।
कथा उसी के एक रूप को चित्रित है।
आदरणीय आलोक मित्तल जी , बधाई।
sunder vishy aur sunder prstuti
रचना के भाव सुन्दर हैं आ० आलोक मित्तल जी, लेकिन अभी भी इसमें कुछ शब्द/पंक्तियाँ अनावश्यक हैं जिस कारण लघुकथा की गति बाधित लग रही है।
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