नैन कटीले …
नैन कटीले होठ रसीले
बाला ज्यों मधुशाला
कुंतल करें किलोल कपोल पर
लज्जित प्याले की हाला
अवगुंठन में गौर वर्ण से
तृषा चैन न पाये
चंचल पायल की रुनझुन से मन
भ्रमर हुआ मतवाला
प्रणय स्वरों की मौन अभिव्यक्ति
एकांत में करे उजाला
मधु पलों में नैन समर्पण
करें प्रेम श्रृंगार निराला
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया vijay nikore जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
सुन्दर, मनभावन, सजीली रचना के लिए बधाई आ० सुशील जी।
आ० सुशील सरना जी
शृंगार पर सुन्दर प्रयास हुआ है..
हार्दिक बधाई
आ. सुशील सरना जी , सुन्दर शृंगार रचना के लिये दिली बधाई !
आदरणीय ram shiromani pathak जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीया Chhaya Shukla जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय //हार्दिक बधाई आपको
सुंदर श्रृंगारिक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरनीय !
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