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तंग सी तेरी गली की याद वो जाती नहीं
मुद्दतों से वो तेरी तस्वीर धुँधलाती नहीं
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बे-जबाबी हो चुके हैं ला-ज़बाबी ख़त मेरे
क्या मेरी चिट्ठी तेरे अब दिल को धड़काती नहीं
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खत्म होने को चला है सिलसिला तेरा मेरा
बेव़फाई पर तेरी क्यों आके पछताती नहीं
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झूठ से तकदीर लिखना खूब आता है तुझे
लूटकर तू दिल किसी का लौट कर आती नहीं
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खौफ़ हावी हो चुका है आज तेरा शहर में
कत्ल करके भी तेरी आबाज़ घबराती नहीं
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
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Comment
तहेदिल से शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी
झूठ से तकदीर लिखना खूब आता है तुझे
लूटकर तू दिल किसी का लौट कर आती नहीं----वाह वाह
बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आ० उमेश जी बहुत- बहुत बधाई
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शुक्रिया श्याम नाराइन जी
शुक्रिया योगराज प्रभाकर जी
बहुत खूब आ० उमेश कटारा जी।
इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको |
शुक्रिया सोमेश कुमार जी आपका
bejwabi-lajwabi -dhdkati me ye chitthi ,wah gzb dha diya aap ne
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