For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -उमेश कटारा------नाम जिसके मेरी जिन्दगानी लिखी है

212 212 212 212
---------------------------
नाम जिसके मेरी जिन्दगानी लिखी है
कतरे कतरे में वो ही दिवानी लिखी है

आखिरी साँस तक आह भरता रहूँ मैं
इस तरह से ये उसने कहानी लिखी है

मैं बदलता रहा उम्र भर आशियाँ
फिर भी तस्वीर दिल में पुरानी लिखी है

कैसे भूलूँ उसे मै बताओ मुझे
नाम जिसके ये मेरी जवानी लिखी हैे

याद करता रहूँ मैं हमेशा उसे
इसलिये आँसुओं की निशानी लिखी है

मौलिक व अप्रकाशित 
उमेश कटारा

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on November 18, 2014 at 7:14am

शुक्रिया राजेश कुमारी जी

Comment by umesh katara on November 18, 2014 at 7:14am

शुक्रिया श्रीमान गिरिराज भंडारी साहब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2014 at 9:54pm

आ. उमेश भाई , बढ़िआ ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 8:01pm

सुन्दर ग़ज़ल ..बधाई आ० उमेश जी 

Comment by umesh katara on November 16, 2014 at 12:53pm

शुक्रिया Hari prakash Dubey ji

Comment by Hari Prakash Dubey on November 16, 2014 at 10:51am

मैं बदलता रहा उम्र भर आशियाँ
फिर भी तस्वीर दिल में पुरानी लिखी है....सुन्दर ...हार्दिक बधाई आदरणीय उमेश जी !

Comment by umesh katara on November 16, 2014 at 10:03am

शुक्रिया pooja yadav जी

Comment by pooja yadav on November 16, 2014 at 9:08am
बहुत खूब आदरणीय उमेश जी।
Comment by umesh katara on November 15, 2014 at 1:40pm

शुक्रिया डॉ गोपाल नारायन जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 15, 2014 at 12:28pm

अच्छी गजल हुयी है  i सुन्दर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service