For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

         वर्ष का पहला दिन, दीवार पर टंगा नया कैलेण्डर और जनवरी का पृष्ठ अपने भाग्य पर इतरा रहा था, बाकी महीनों के पृष्ठ दबे जो पड़े थे, सभी को प्रणाम करते देख वह अहंकार और आत्ममुग्धता से भर गया उसे क्या पता कि लोग उसे नहीं बल्कि उस पृष्ठ पर लगी माँ लक्ष्मी की तस्वीर को प्रणाम करते हैं ।
                    दिन-महीने बीतते गये, संघर्ष सफल हुआ और सबसे नीचे दबा दिसंबर माह का पृष्ठ आज सबसे ऊपर था । उसके ऊपर लगी माँ सरस्वती की तस्वीर बहुत ही सुन्दर लग रही थी ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : श्रेष्ठ कौन ?

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:34am

गजब की लघुकथा आदरणीय बागी सर, कैलेंडर के बहाने सीख देती और सत्य उजागर करती सफल लघुकथा 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 27, 2014 at 10:16pm

समय आता है, बीत जाता है. निरंतरता विद्यमान ही रहेगी.  बहुत सुंदर लघुक्था, भुत-बहुत बधाई सर आपको


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 25, 2014 at 1:06pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब, आपके कहे से सौ फीसद सहमत हूँ, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु आभार आपका।

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 12:11pm
अनुपम शिक्षाप्रद ।।लघुकथा साझा करने के लिए बहुत आभार आदरणीय गणेश जी।।सादर
Comment by Chhaya Shukla on November 25, 2014 at 11:41am

अहंकार और आत्म मुग्धता से बचो की सीख देती लघु कथा सराहनीय बन पड़ी है आदरनीय ! सादर नमन


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 25, 2014 at 11:38am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, इस स्नेह हेतु आभारी हूँ आदरणीय।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 25, 2014 at 11:33am

आदरणीय सौरभ भईया, आपकी टिप्पणी लघुकथा को अलंकृत कर गयी, साथ ही स्तरीय लेखन हेतु प्रेरित भी, बहुत बहुत आभार आदरणीय।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 25, 2014 at 11:30am

आदरणीय अखिलेश भाई साहब, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति वो भी खूबसूरत काव्य पक्तियों के साथ, मन आह्लादित कर गया, हृदय से आभार प्रेषित करता हूँ आदरणीय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 24, 2014 at 3:32pm

इस समय की धार में अटल , अचल और स्थायी कुछ भी नही है , कब वर्तमान इतिहास बन जाये कौन जानता है ! इनसे विरक्त रहना ही भला है ! बढिया संदेश देती आपकी लघुकथा के लिये दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 24, 2014 at 6:12am
आदरणीय गणेश जी बागी जी , बहुत ही सरल ढंग से बड़ी बात कह दी आपने। इस प्रेरक लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
22 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service