2122 12 12 22
बदला बदला सा घर नज़र आया।
जब कभी मैं कही से घर आया।
बस तुझे देखती रही आँखें।
हर तरफ तू ही तू नज़र आया।
छोड़ कर कश्तियाँ किनारे पर।
बीच दरिया में डूब कर आया।
यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी।
याद मुझको तेरा हुनर आया।
नींद गहरी हुई फिर आज "कमाल"।
ख्वाब उसका ही रात भर आया।
मौलिक एवम अप्रकाशित
केतन "कमाल"
Comment
गणेश जी शुभ प्रभात
मात्रा पतन करने का मतलब मात्रा घटाना नहीं होता जैसे की मैं आपकी टिपणी में देख रहा हूँ।
मात्रा गिराने का मतलब ये है की उस जहाँ भी मात्रा गिराई गयी है वहाँ शायर अपनी लयकारी से कम ज़ोर देकर पढता है।
कुछ example आपके लिए नीचे दे रहा हूँ।
२ चुप १ के चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है।
२ हम १ को अब तक आशक़ी का वो ज़माना याद है।
बना १ है शाह १ का मुसाहिब फिरे १ है इतराता।
वगर १ ना शह्र में ग़ालिब १ की आबरू क्या है।
उपरोक्त अशआर में आप देख सकते है आ की मात्रा ई की मात्रा और ऐ की मात्रा को भी गिराया गया है।
मात्रा गिराना शायर की लयकारी पर है वो जहाँ ज़रुरत हो वहाँ मात्रा गिराकर पढ़ सकता हैं।
केतन जी आप दुरूस्त फरमाते हैं और आपकी गजल भी दुरूस्त है। खूबशूरत गजल के लिये बधाई।
प्रथम टिप्पणी देवनागरी नहीं होने से मैं कुछ समझ नहीं सका। मकता का मिसरा उला अलिफ वस्ल के हिसाब से वाजिब है। बदला में ला को एक मात्रा में बाँधना मुझे वाजिब नहीं लग रहा।
आदरणीय कमाल भाई , ग़ज़ल खूबसूरत कही है , दिली बधाई स्वीकार करें । आ. बाग़ी जी का कहना सही है -
नींद गहरी हुई फिर आज "कमाल" -- ये मिसरा बे बहर हो गया है , देख लीजियेगा ।
बदला बदला सा घर नज़र आया।
बदला 112 या 22 को आप 21 में कैसे बाँध सकते हैं, बदला और बदल दोनों अर्थ रखते हैं।
मकता का मिसरा उला बेबहर हो गया है।
शेष ग़ज़ल अच्छी लगी, बधाई प्रेषित है आदरणीय केतन कमाल जी।
नींद गहरी हुई फिर आज "कमाल"।
ख्वाब उसका ही रात भर आया।...बहुत खूब कमाल साहब ,बधाई
सुंदर गज़ल कमाल भाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online