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एक ही सच्चा किरदार

एक ही सच्चा किरदार।
बाकी सब किरायेदार।।

खुद को इंशा कहता है।
उसके गम भी ले उधार।।

कितने भूंखे मरते हैं।
कभी तो पढ़ ले अखबार।।

बड़ा अज़ीब बन्दा है वो।
दुश्मनों से करता प्यार।।

जबसे प्यार कर लिया है ।।
लोग कहते हैं बीमार।।

तुझको फिर से नज़र लगी।
जाके कभी नज़र उतार।।
*********************
-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 5:19pm
बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 5:18pm
बहुत आभार आदरणीय गोपाल जी।।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 5:10pm

कितने भूंखे मरते हैं।
कभी तो पढ़ ले अखबार।।---बहुत खूब 

सुन्दर प्रस्तुति राम शिरोमणि जी बधाई आपको 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 25, 2014 at 4:51pm

बेहतरीन i

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 4:33pm
बहुत बहुत आभार आदरणीया मीना दी।।सादर
Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:03pm

क्या बात है ....................बेहतरीन !

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