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हम याद तुम्ही को करते थे

हम याद तुम्ही को करते थे,
छुप छुप के आहें भरते थे,
मदहोश हुआ जब देख लिया
सपनों में अब तक मरते थे.

रूमानी चेहरा, सुर्ख अधर,
शरमाई आँखे, झुकी नजर,
पल भर में हुए सचेत मगर,
संकोच सदा हम करते थे.

कलियाँ खिलकर अब फूल हुई,
अब कहो कि मुझसे भूल हुई,
कंटिया चुभकर अब शूल हुई,
हम इसी लिए तो डरते थे.

अब होंगे हम ना कभी जुदा,
बंधन बाँधा है स्वयं खुदा,
हम रहें प्रफुल्लित युग्म सदा,
नित आश इसी की करते थे.

(मौलिक व अप्रकाशित )
- जवाहर लाल सिंह

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Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2014 at 1:35pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय जवाहर लाल जी //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 2, 2014 at 12:55pm

मदहोश हुआ जब देख लिया 
सपनों में अब तक मरते थे.....सुन्दर प्रस्तुति , बधाई श्री जवाहर जी ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 2, 2014 at 12:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी!

Comment by Shyam Narain Verma on December 1, 2014 at 5:00pm

बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 1, 2014 at 12:44pm

उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री गोपाल नारायण साहब!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 1, 2014 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय भूवन निश्तेज जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 1, 2014 at 12:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 1, 2014 at 12:41pm

विश्लेषित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री सोमेश कुमार जी!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 1, 2014 at 11:09am

अब होंगे हम ना कभी जुदा,
बंधन बाँधा है स्वयं खुदा,
हम रहें प्रफुल्लित युग्म सदा,
नित आश इसी की करते थे.---------kya sankalp hai I vaah I

Comment by भुवन निस्तेज on December 1, 2014 at 8:32am

sundar.....

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