For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरा दिया जन्म,मुझे स्वीकार नहीं

तेरा दिया जन्म

मुझे स्वीकार नहीं

जन्म स्थान

मुझे स्वीकार नहीं

यह नाम

मुझे स्वीकार नहीं

स्वीकार नहीं मुझे

कर्म करना, और   

भाग्य से बंध जाना

मुझे स्वीकार नहीं

स्वीकार नहीं मुझे

तेरे तथा-कतिथ दूतों के

नैतिकता-अनैतिकता के निर्देश

उनके छल भरे उपदेश

तेरे नाम पर रचे, उनके

षडयन्त्र भरे परिवेश

मैं विद्रोही तेरी माया का

आ ,मुझे नरसिंह बनकर

हिरण्यकश्यप की तरह मार दे

या बुद्ध बना कर मुझे  

मध्य मार्ग पर उतार दे !!  

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:54pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर सर सबसे पहले विलम्ब से अपनी प्रतिक्रिया के लिए क्षमा, दरअसल कुछ समय से बाहर था, आपके उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार !  

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:44pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपके स्नेह के लिए शुक्रिया !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:42pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:40pm

आदरणीय राहुल डांगी जी आपको रचना पसंद आयी,आपका आभार !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 2:46pm

आपके ये विद्रोही तेवर अच्छे लगे भाई हरि प्रकाश दुबे जी, वाह !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2014 at 4:14pm

वाह ! भाई हरि प्रकाश जी , बहुत सुन्दर ! बधाइयाँ ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2014 at 12:46pm

आदरणीय

अंतिम चार लाईना  ने कविता में चार चाँद लगाये  i  बुद्ध के मध्यम वर्ग की  अवधारणा  जो महीयान सम्प्रदाय  के रूप में विकसित हुयी उसका आलंबन रचना को विशिष्ट  बनाता है i सादर i

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 5, 2014 at 11:06am
वाह वाह वाह वाह दिल छू गयी ये कविता वाह
Comment by Hari Prakash Dubey on December 4, 2014 at 11:50pm

श्री नीरज मिश्र जी आपने तो एक लाख बधाई दे कर मेरा रक्त संचार बढ़ा दिया ,आपको भी एक लाख बार धन्यवाद !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 4, 2014 at 11:47pm

सुश्री  सीमा तिवारी जी आपकी टिप्पणी ने उत्साह बढ़ा दिया है ,हार्दिक धन्यवाद आपका !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service