For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक्त और मुझमे लडाई है

२१२२ २१२२ २१२२ २

बादे मुद्दत फिर मुझे वो याद आयी है!
फिर किसी ने फूल से तितली उडाई है!!

फिर चुभा है दिल में मेरे याद का कंकड!
फिर से उसने आतमा मेरी दुखाई है!!

इसमें उसकी कुछ ख़ता ना है जमाने सुन!
दरअसल इस वक्त और मुझमें लडाई है!!

राख बनकर उड गये दिल जाँ जिगर अरमाँ!
इस तरह उसने मेरी चिट्ठी जलाई है!!

देख ली सारी ये दुनिया और खुदा को भी!
इस जहाँ में सिर्फ़ अपना अपनी माँई है!!

फेंक डाला दिल मेरा उसने गुमां है यह!
सच तो ये है मेरे ही इस दिल को काई है!!

सबसे ज्यादा विषभरी जहरीली ऐ'राहुल'!
उस सितमगर जादुगर की दिलरुबाई है!!


मौलिक व अप्रकाशित
राहुल दांगी
जन्म तिथि-०९-०१-१९९२

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 10, 2014 at 11:32am
आदरणीय गिरीराज जी सादर धन्यवाद! आपके सुझाव पर गौर करुंगा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2014 at 11:25am

आदरणीय राहुल भाई , बढ़िया गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

आदरणीय मिथिलेश भाई की सलाह उचित है , खयाल की जियेगा !

एक बात - आत्मा ( 22 ) को आतमा ( 212 ) मे बांधना शायद ठीक न हो !

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 10, 2014 at 10:02am
बहुत बहुत धन्यवाद योगिन्दर जी
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 10, 2014 at 12:17am
सादर धन्यवाद सौरभ जी!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 9, 2014 at 10:33pm

आपको रचनाकर्म करते देखना एक सुखद अनुभूति है भाई राहुलजी. आप प्रयासरत रहे हैं और प्रदत्त सुझावों पर ध्यान दें तदनुरूप अभ्यास करें.
हार्दिक शुभेच्छाएँ.



Comment by Rahul Dangi Panchal on December 9, 2014 at 1:31pm
सौमेश जी सादर धन्यवाद!
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 9, 2014 at 1:31pm
आदरणीय योगराज जी सादर धन्यवाद! आपके कहे पे अवश्य गौर करूंगा

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 12:02pm

वाह वाह भाई राहुल दांगी जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। थोड़ा कहन को उठायें एवँ बह्र को और साधें, सोने पर सुहाग हो जायेगा।

Comment by somesh kumar on December 9, 2014 at 10:47am

राख बनकर उड गये दिल जाँ जिगर अरमाँ!
इस तरह उसने मेरी चिट्ठी जलाई है!!

राख बनकर उड गये दिल जाँ जिगर अरमाँ!
इस तरह उसने मेरी चिट्ठी जलाई है!!

सुंदर  रचना भाई जी 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 9, 2014 at 9:06am
आदरणीय मिथिलेश जी सादर धन्यवाद!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service