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कोहरे के कागज़ पर
किरणों के गीत लिखें
आओ ना मीत लिखें

सहमी सहमी कलियाँ
सहमी सहमी शाखें
सहमें पत्तों की हैं

सहमी सहमी आँखें

सिहराते झोंकों के
मुरझाए
मौसम पर
फूलों की रीत लिखें

आओ ना मीत लिखें 

रातों के ढर्रों में
नीयत है चोरों की
खीसें में दौलत है
सांझों की भोरों की

छलिया अँधियारो से
घबराए,
नीड़ों पर
जुगनू की जीत लिखें

आओ ना मीत लिखें 

गूँज रहा सन्नाटा
सूरज के घर-आँगन
धुआँ धुआँ धूप हुयी
सौंप घना सूनापन

धरती से सूरज के
रूखे
संवादों पर
निहुराई प्रीत लिखें

आओ ना मीत लिखें

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 762

Comment

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Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:46pm
आदरणीय सीमा जी बहुत सुन्दर गीत लिखा है आपने । बधाई ।
Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:39pm

नवगीतों की कड़ियों में अदभुत ये गीत लिखें 

रचना की सीमा में ,सीमा की जीत  लिखें 

जी ना लगाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ,नवगीत के लिए विशेष bdhai

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 15, 2014 at 12:26pm

सीमा जी

गूँज रहा सन्नाटा
सूरज के घर-आँगन
धुआँ धुआँ धूप हुयी
सौंप घना सूनापन

धरती से सूरज के
रूखे
संवादों पर
निहुराई प्रीत लिखें

आओ ना मीत लिखें 

बहुत भावपूर्ण गीत रचा  आपने i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 14, 2014 at 12:09pm
सुन्दर गीत।सुन्दर लय। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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