For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुदा बोलता है : ग़ज़ल (मिथिलेश वामनकर)

122-122

------------

जहां में लगा है

खुदी से जुदा है

 

हुआ मैं पशेमाँ

गज़ब देखता है

 

कभी रूह झांको

खुदा बोलता है

 

सजन शे’र जैसा

लबों पे सजा है

 

सजा ज़िन्दगी की

अजब फैसला है

 

 

हंसी जब्त कर लो

हंसी में सदा है

 

बड़ी दास्तां है

मगर ये ज़दा है

सफ़र है गली में 

मकां में अमा है 

 

ग़मों का य’ दरिया

कहे कब रुका  है

 

जिसे देखता हूँ

नज़र फेरता है

----------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) 

© मिथिलेश वामनकर 
----------------------------------

 

बह्र-ए-मुतक़ारिब मुरब्बा सालिम

अर्कान – फऊलुन- फऊलुन    

वज़्न –   122-122

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2014 at 6:39pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , मै ये बात आपसे कहने ही वाला था पर अनावश्यक समज के रुक गया था ,  कि आप रचनायें पोस्ट करने में जल्दबाजी तो नहीं कर रहे हैं , आदरणीय वीनस भाई ने मुझसे कहा था कि ग़ज़ल पूरी हो जाने के बाद कमसे कम 10 दिन अपने पास रखें और रोज़ एक बार ज़रूर पढें , खामियाँ खुद ब खुद कम से कम होते चली जायेंगी । आपको सही लगे तो आप भी इसे अपना सकते हैं , कोई ज़रूरी नियम नहीं है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 6:32pm
आदरणीय गिरिराज सर आपको ये प्रयास पसंद आया लिखना सार्थक हुआ। आपका हार्दिक आभार। दरअसल ग़ज़ल लिखते ही अतिउत्साह में पोस्ट कर दी और पोस्ट करने के 10 मिनट बाद ध्यान गया। अब सुधार कर लूंगा। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 6:28pm
आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी छोटी बह्र में ग़ज़ल का प्रयास आपको पसंद आया हार्दिक आभार धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2014 at 6:23pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , छोटी बहर में अच्छी बात कही है , बधाई स्वीकार करें ।

आपने स्वयं कह दिया है . रवाँ , ज़बाँ और मकाँ  तीनो  अशआर  गज़ल से ख़ारिज हो रहे हैं , फिर से देख लीजियेगा ।

Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:15pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी,

सजा ज़िन्दगी की

अजब फैसला है.....सुन्दर ,हार्दिक बधाई आपको !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 3:03pm
आदरणीय गुमनाम जी ग़ज़ल पसंद आई लिखना सार्थक हुआ। आभार हार्दिक धन्यवाद।
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 25, 2014 at 2:35pm
छोटी बहर में कमाल ग़ज़ल हुई है बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 12:47pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर छोटी बह्र में प्रयास किया है, सदा जबां के आ आं में काफ़िया दोष आ गया है जिससे तीन अशआर बेबहर हो गए है। रचना आपको पसंद आई, आभार। हार्दिक धन्यवाद।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2014 at 12:40pm

वामनकर जी

छोटी बह्र पर भी धमाल i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 12:20pm
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी रचना आपको पसंद आई, आभार, हार्दिक धन्यवाद। छोटी बह्र में लिखनें का प्रयास किया है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी  हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आपका इतने विस्तार से आपने बताया सब आभार…"
5 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"श्रीमान नीलेश जी, अपनी बातचीत की शैली सुधारिए। हर बात तंज में कहना आवश्यक नहीं होता। आपने पिछले…"
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार  बहुत अच्छे कवाफ़ी लिए और बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार…"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह ज़बर्दस्त…"
20 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//वेदना तुम से विरह की एक पल भूले नहींकिन्तु नव सम्बन्ध हम स्वीकार भी करते रहे// हासिल-ए-ग़ज़ल शेर !…"
39 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी.मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा होता नहीं. वो अपनी अपनी बारी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service