ग़ज़ल : शुभ सजीला आपका नव साल हो.
गर्व से उन्नत सभी का भाल हो.
शुभ सजीला आपका नव साल हो.
कामना मैं शुभ समर्पित कर रहा,
देश का गौरव बढ़े खुश हाल हो.
आसमां हो महरबां कुछ खेत पर,
पेट को इफरात रोटी दाल हो.
मुल्क के हर छोर में छाये अमन,
हो तरक्की देश मालामाल हो.
आदमी बस आदमी बनकर रहे,
जुल्म शोषण का न मायाजाल हो.
मन्दिरों औ मस्जिदों को जोड़ दें,
घोष जय धुन एक ही सुरताल हो.
भेद फिरकों का न हो इंसान में,
एक ऐसा भी सुनहरा काल हो.
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय Dr.Vijai Shanker साहब सादर अभिनन्दन..नव वर्ष पर हार्दिक मंगलकामनायें प्राप्त हुयीं ..सादर आभार.
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपकी स्नेहिल टीप हेतु हार्दिक आभार आपका...सादर
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपकी सराहना हेतु हार्दिक आभार..कृपया स्नेह बनाए रखें.
आदरणीया vandana जी ग़ज़ल पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मिली ,सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका...सादर.
शर्मा जी
सुन्दर हिन्दी गजल हेतु आपको बधाई i
".वाह क्या बात है ,,,,,,,,,,,,,खूबसूरत गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई, सादर " |
आदमी बस आदमी बनकर रहे,
जुल्म शोषण का न मायाजाल हो.
मन्दिरों औ मस्जिदों को जोड़ दें,
घोष जय धुन एक ही सुरताल हो.
वाह बहुत सुन्दर भावों से सजी ग़ज़ल.. बधाई आदरणीय
आदरणीय somesh kumar जी आपकी शुभ कामनाएं अवश्य फलीभूत हों ..ईश्वर से प्रार्थना है..आपको भी नववर्ष मंगलमय हो..सादर.
आदरणीय Saurabh Pandey साहब आपका कुशल मार्गदर्शन बहुमूल्य है..सादर परिवर्तन किया है..आदरणीय शिज्जू 'शकूर" साहब का परामर्श भी सादर पालन किया है...हार्दिक आभार.
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